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22 नवं., 2007-वित्त सचिव ने 2001 की दरों पर लाइसेंस/2जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर विरोध दर्ज कराया.
29 नवं., 2007-दूरसंचार विभाग के सचिव ने इसे मानने से इनकार कर दिया. नीलामी के विरोध में 2003 के राजग सरकार के कैबिनेट फैसले और ट्राइ की सिफारिशों का हवाला दिया.
26 दिसं., 2007-ए. राजा ने स्पेक्ट्रम के मूल्य को लेकर मंत्री समूह के अध्यक्ष प्रणब मुखर्जी और महाधिवक्ता गुलाम वाहनवती के साथ चर्चा का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा. उन्होंने बताया कि पहले आओ-पहले पाओ की परिभाषा को वाहनवती ने मंजूरी दे दी है.
26 दिसं., 2007-प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा लेकिन उन्होंने उसमें राजा के साथ अपनी बैठक का कोई जिक्र नहीं किया.
3 जन., 2008-प्रधानमंत्री ने राजा के दिनांक 26 दिसंबर के पत्र की पावती दी.
10 जन., 2008-15 कंपनियों को 121 लाइसेंसों के लिए आशय पत्र जारी किए गए.
15 जन., 2008-चिदंबरम ने प्रधानमंत्री को लिखा, राजा ने जो किया वह 'अध्याय बंद' है.
30 जन., 2008-राजा ने चिदंबरम के साथ ऑपरेटरों की संख्या और स्पेक्ट्रम ट्रेडिंग को सुरक्षित करने की जरूरत के बारे में चर्चा की.
4 जुलाई, 2008-प्रधानमंत्री, चिदंबरम और राजा ने स्पेक्ट्रम शुल्क और 6.2 मेगाहर्ट्ज के परे कीमत पर चर्चा के लिए बैठक की.
23 सितं., 2008-स्वान ने एतिसलात के साथ सौदा किया. एक महीने बाद ही यूनीटेक ने टेलीनॉर के साथ सौदा कर लिया.
28 मई, 2009-यूपीए के दूसरे कार्यकाल में राजा को फिर दूरसंचार मंत्री बना दिया गया.
21 अक्तू., 2009-सीबाआइ की एफआइआर
14 नवं., 2010-राजा ने इस्तीफा दिया.
16 नवं., 2010-सीएजी रिपोर्ट में 2जी घोटाले में 1.76 लाख करोड़ का नुकसान आंका गया.
18 नवं., 2010-ट्राइ ने 121 लाइसेंसों में से 69 रद्द करने की सिफारिश की.
फरवरी 2011- राजा, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहरा और राजा के निजी सचिव आर.के. चंदोलिया गिरफ्तार कर लिए गए.
2 अप्रैल, 2011-सीबाआइ ने पहला आरोपपत्र दाखिल किया.