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डेविड कोलमैन हेडली: सेक्स ड्रग्स और जेहाद

26/11 के हमले की साजिश रचने वाले आदमी की पोशीदा दुनिया की एक झलक.

डेविड कोलमैन हेडली डेविड कोलमैन हेडली
संदीप उन्नीथन
  • नई दिल्‍ली,
  • 09 फरवरी 2013,
  • अपडेटेड 1:10 PM IST

दस आतंकवादियों ने 26 नवंबर, 2008 को जब मुंबई पर हमला किया, उसके कुछ घंटों बाद शाजि़या गिलानी ने अपने शौहर डेविड कोलमैन हेडली को कूट संकेतों में एक ईमेल भेजा. शिकागो की रहने वाली उस घरेलू महिला ने लिखा, ''मैं कार्टून देख रही हूं. तुम्हारी ग्रेजुएशन पर बधाई.” हेडली ने दो साल तक पूरा जी-जान लगाकर हमले की योजना तैयार की थी और मौका मुआयना किया था, जिसमें 166 लोग मौत के घाट उतार दिए गए थे.

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इस साल 24 जनवरी को उसे डेनमार्क के कोपेनहेगन और मुंबई में हमले के जुर्म में अमेरिका में 35 साल जेल की सजा सुनाई गई. पाकिस्तानी शायर-राजनयिक बाप और अमेरिकी मां से अमेरिका में पैदा हुआ हेडली नशीली दवाओं और सेक्स का शौकीन था. दुनिया में नशीले पदार्थों के अवैध कारोबार के सबसे बड़े इलाके यानी अफगानिस्तान-पाकिस्तान के गोल्डन क्रीसेंट में 1980 के दशक में वह ड्रग्स की तस्करी के लिए लगातार चक्कर लगाता रहता था. लेकिन आगे चलकर वह दूसरे सबसे बड़े निर्यात—आतंकवाद के धंधे में शामिल हो गया.

हेडली सिर्फ 26/11 के हमले की साजिश रचने के लिए ही नहीं बल्कि मार्च 2009 में दिल्ली की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी के अलावा पुणे और गोवा के पर्यटन स्थलों पर भी हमले की योजना बनाने के लिए वांछित है. इस यूनिवर्सिटी में सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों और नौकरशाहों को ट्रेनिंग दी जाती है. गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की ओर से दर्ज किए गए एक-दूसरे मामले के तहत हेडली और उसके साथ साजिश में शामिल पाकिस्तानी-कनाडियाई तहव्वुर राना के प्रत्यर्पण की मांग की है.

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राना को शिकागो में 14 साल जेल की सजा सुनाई गई है. एनआइए के अधिकारी का कहना है, ''हेडली एक कड़ी है, जो 26/11 की टूटी हुई सभी कडिय़ों को जोड़ती है. वह इस हमले में पाकिस्तान की सेना और आइएसआइ के शामिल होने की बात पुख्ता करता है. इसके अलावा वह यह भी जाहिर करता है कि इसमें लश्कर-ए-तय्यबा का सरगना हाफिज मोहम्मद सईद भी शामिल था.” पाकिस्तान की अदालतों ने 2009 में सबूतों के अभाव में सईद को बरी कर दिया था.

मिशन मुंबई को विस्तार
एनआइए के चार अधिकारियों को 3 जून से 9 जून के बीच अमेरिका की अंडरग्राउंड जेल में 34 घंटों के लिए उससे पूछताछ करने की अनुमति दी गई थी. वे बताते हैं कि वे अब तक जितने भी आतंकवादियों या अपराधियों से मिले हैं, हेडली उनमें बिलकुल अलग था. न सिर्फ अपनी विचित्र आंखों—दाईं आंख नीली और बाईं आंख गहरी भूरी—के कारण, बल्कि अपनी बड़ी-बड़ी आकांक्षाओं के कारण भी. जॉर्ज एस. पैटन की मशहूर लाइन है—दम नहीं तो यश नहीं (नो गट्स नो ग्लोरी). हेडली का यही मूलमंत्र था. उसने एजेंसी को जब बताया कि पाकिस्तान की आइएसआइ ने भारत के खिलाफ जंग में लश्कर-ए-तय्यबा को रणनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया तो उन अधिकारियों ने पाया कि हेडली उकसाने का काम करने वाला एजेंट था, जिसने 26/11 के हमले के आकार को बढ़ाने का काम किया था.

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एक खुफिया अधिकारी के अनुसार, ''वहीं से मुंबई पर हमले की योजना अंकुरित हुई. हेडली की ओर से महत्वपूर्ण जानकारियां मिलने पर आइएसआइ और लश्कर का भरोसा बढ़ गया और वे ज्यादा बड़े हमले के लिए तैयार हो गए.” अभी तक दुनिया में मुंबई पर हमला एकमात्र ऐसा हमला है, जिसमें आधुनिक आतंकवाद के सभी तत्व शामिल हैं—समुद्र के रास्ते घुसपैठ, फिदायीन कमांडो और विस्फोटकों से भरे वाहन.

सितंबर, 2007 तक लश्कर ने मुंबई के ताज महल होटल में मेहमानों पर हमला करके भागने की योजना ही बनाई थी. इस योजना में दो बंदूकधारी भारत-नेपाल सीमा या भारत-बांग्लादेश सीमा से मुंबई में घुसते, हमले करते और फिर कश्मीर की तरफ भाग निकलते. लेकिन 2006 और 2009 के बीच हेडली ने नौ बार भारत का दौरा करके बड़ी चतुराई से रेकी की, जिससे हमलावरों को हमले के लिए चुने गए पांच ठिकानों का वीडियो मिल गया. ये हमलावर इससे पहले कभी भी पाकिस्तान से बाहर नहीं गए थे. हेडली ने शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे के निवास मातोश्री पर हमला करने से मना किया था, क्योंकि उसकी दलील थी कि हमलावर आतंकवादी कोलाबा से 15 किमी दूर बांद्रा में उनके घर तक नहीं जा सकते थे.

जांचकर्ताओं को उसके बारे में इसके अलावा कुछ और बातें पता चलीं. उसे औरतों का जबरदस्त शौक था. 2009 में जब वह पकड़ा गया, उस वक्त उसकी तीन बीवियां और छह गर्लफ्रेंड थीं. पाकिस्तान में जन्मी शाजिया गिलानी की तरह उनमें से कुछ को उसके खतरनाक इरादों की जानकारी रही होगी. भारत ने शाजिया के अलावा उसकी (हेडली की) दो गर्लफ्रेंड—पोर्शिया पीटर और एक अन्य अनाम महिला—से पूछताछ करने की इजाजत देने के लिए अमेरिका से अनुरोध किया है. इसके अलावा उसकी तीसरी पत्नी फाएजा ओतलहा से भी पूछताछ करने के लिए भारत ने मोरक्को से अनुरोध किया है. लेकिन मोरक्को की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.

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हेडली की मां सेरिल फिलाडेल्फिया के एक दौलतमंद परिवार की बेटी है. हेडली के जीवन पर उसकी मां का गहरा प्रभाव पड़ा था. उसने शिशु— जिसका नाम उस समय दाऊद गिलानी था—को अपने पूर्व पति के पास छोड़ दिया लेकिन 1977 में उसे अमेरिका ले आई. वह एक नाइट क्लब 'खैबर पास’ के ऊपर बने एक अपार्टमेंट में अपनी मां के साथ रहने लगा. उसकी मां अफगानिस्तान में जन्मे अपने पति के साथ फिलाडेल्फिया में नाइट क्लब चलाती थी. हेडली उस क्लब में मैनेजर के रूप में काम करता था.

ड्रग के धंधे में कदम
हेडली 1980 के दशक के शुरू में पाकिस्तान पहुंच गया. पड़ताल करने वाली एक अमेरिकी वेबसाइट प्रोपब्लिका के अनुसार, 1984 में हेडली पाकिस्तान के कबाइली इलाके से बाहर हेरोइन की तस्करी करते हुए पकड़ा गया. उसने आड़ के लिए अपने दोस्त तहव्वुर राना का इस्तेमाल किया, जो उस समय पाकिस्तानी सेना का डॉक्टर बनने के लिए पढ़ाई कर रहा था. लेकिन असलियत सामने आ गई. उसे जेल में डाल दिया गया लेकिन वह वहां से फरार हो गया. 1988 में दो किलो हेराइन अमेरिका ले जाने की कोशिश करते हुए उसे फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट पर पकड़ लिया गया.

उस पर मुकदमा चला, जिसके बाद अमेरिका की जेल में उसने चार साल की सजा काटी. इसके बाद उसने ड्रग एनफोर्समेंट एजेंसी (डीईए) के साथ करार कर लिया. वह एजेंसी की खातिर मुखबिरी करने के लिए राजी हो गया. उसने अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा से लगे इलाके में ड्रग का धंधा करने वाले गिरोहों में अपने संपर्कों का इस्तेमाल किया, ताकि अमेरिका में ड्रग का धंधा करने वालों का पता लगाया जा सके.

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9/11 हमले के बाद जब अमेरिकी खुफिया एजेंसियां लगातार अल कायदा के बारे में सूचनाएं हासिल करने की कोशिश करने लगीं तो हेडली उनके लिए बेहद कारगर साबित हुआ. लेकिन लाहौर में हेडली धीरे-धीरे भारत से नफरत करने की लश्कर की विचारधारा और संगठन के मुखिया हाफिज मोहम्मद सईद की ओर खिंचने लगा.

2002 तक डीईए का डबल एजेंट अब ट्रिपल एजेंट बन चुका था. अब आइएसआइ और लश्कर, दोनों की ओर से हेडली को अलग-अलग तौर पर कट्टर उग्रवादी बनाया जा रहा था. सलवार-कमीज, अफगानिस्तान की 'पकोल’ टोपी और लंबी दाढ़ी में उसे पहचान पाना मुश्किल था. उसे केवल उसकी आंखों से पहचाना जा सकता था. उसे सबसे पहले लाहौर के बाहर मुरीदके में लश्कर के मुख्यालय में ट्रेनिंग दी गई और फिर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद के पहाड़ों में थोड़े-थोड़े अंतराल पर उसकी ट्रेनिंग हुई. उसे हथियारों के बिना लड़ाई, खुफिया जानकारी जुटाने की तकनीक और एजेंट तैयार करने की कला का प्रशिक्षण दिया गया. वह कश्मीर में जंग करने के लिए तैयार था, लेकिन 40 साल की उम्र देखते हुए उसे मना कर दिया गया. जाहिर है, लश्कर और आइएसआइ के पास उसके लिए ज्यादा बड़ी भूमिका तैयार थी.

शातिर अपराधी
वह सितंबर, 2006 में डेविड कोलमैन हेडली के रूप में मुंबई आया. उसके पास बिलकुल नया अमेरिकी पासपोर्ट और 25,000 डॉलर थे, जो उसे मुंबई में निशाना बना सकने लायक जगहों का पता लगाने के लिए आइएसआइ के मेजर इकबाल ने दिए थे. हेडली क्लीन शेव रहता था और वेस्टर्न ड्रेस पहनता था. सूत्रों के मुताबिक, न्यूयॉर्क की उसकी एक मेक-अप आर्टिस्ट गर्लफ्रेंड ने लुक बदलने में उसकी मदद की थी. उसे जल्दी ही पता लग गया कि लंबा, सुगठित, अंग्रेजी बोलने वाला, गोरे नस्ल का मर्द भारत में बिना किसी परेशानी के अपने काम को अंजाम दे सकता है. महिलाएं उसके सौम्य विदेशी लहजे से आकर्षित होती थीं.

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लेकिन उम्रदराज हो रहे इस व्यभिचारी व्यक्ति के बारे में एक और राज की बात है. पत्रकार और नई किताब हेडली ऐंड आइ  के लेखक एस. हुसैन जैदी सेक्स में उसके ज्यादा लिप्त रहने की वजह प्रतिबंधित एनाबोलिक स्टेरॉयड इंसुलिन-लाइक ग्रोथ फैक्टर (आइजीएफ) को बताते हैं. मांसपेशियां बनाने के लिए बॉडी बिल्डरों के इस्तेमाल किए जाने वाले आइजीएफ 1 और आइजीएफ 2 को उम्र का असर दिखने से रोकने वाली गोलियों के रूप में भी बेचा जाता है और इनकी कीमत 100 डॉलर (5,400 रु.) प्रति मिलीग्राम है. जैदी लिखते हैं, ''हेडली व्यभिचारी और अपनी पत्नी को पीटने वाला शख्स था. वह इन दवाओं का इस्तेमाल शारीरिक तौर पर फिट रहने को करता था.”

मुंबई में वह जितने भी लोगों से मिला और दोस्ती की, उनके लिए हेडली एक अमेरिकी कारोबारी था जो अपने दोस्त राना के शिकागो स्थित फर्म इमिग्रेशन लॉ सेंटर की मुंबई शाखा का संचालन करता था. हेडली ने दक्षिण मुंबई के तारदेव एसी मार्केट में एक ऑफिस खोल रखा था और वहां से चंद कदमों पर स्थित ब्रीच कैंडी के एक मकान में पेइंग गेस्ट के तौर पर रहता था. वह उस इलाके में स्थित एक महंगे जिम मोक्ष में अक्सर जाया करता था. वहीं वह महेश भट्ट के बेटे राहुल से मिला और उनसे दोस्ती की.

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अपने वर्कआउट के दौरान छह फुट लंबा, 90 किलो वजन वाला लहीम सहीम हेडली जिम में वर्कआउट कर रही सुगठित काया की एक युवा अभिनेत्री को लगातार घूरता रहता था. वह अक्सर कहता था कि उभरती अभिनेत्री कंगना रनौत की शक्ल उसकी मां से मिलती है. लेकिन एक रेस्त्रां मालकिन के प्रति हेडली गंभीरता से आसक्त हो गया, जिसे वह अक्सर फूल भेंटकर रिझता था और कोलाबा में उसकी दुकान से ही केक खरीदता था. लेकिन यह अफेयर कुछ ही महीनों में खत्म हो गया, जब उन मोहतरमा के पिता ने इस पर ऐतराज किया. वह सिगरेट या शराब नहीं पीता था, लेकिन कभी-कभी डॉम पेरिगनॉन (शैंपेन) की चुस्की ले लिया करता था. अच्छे कपड़ों के प्रति अपने जुनून की वजह से ही लोग उसे 'डेविड अरमानी’ कहने लगे थे.

कभी अपने दोस्त रह चुके इस व्यक्ति को 31 वर्षीय राहुल भट्ट कड़वाहट से याद करते हैं. भट्ट ने इंडिया टुडे से कहा, ''हेडली 3 डब्लू से प्रेरित एक अपराधी है—वाइन, विमेन और वेल्थ (शराब, औरत और पैसा).” उन्होंने बताया, ''वह खुद को ज्यादा आंकने वाला, आत्ममुग्ध और चालाक है.” लेकिन वह सचेत भी था.

वह आतंकवाद के लिए संभावित निशानों पर बातचीत के लिए 'मिकी माउस प्रोजेक्ट’ जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल करता था और अपनी मूल पहचान छिपाने के लिए आइएसडी कॉल में राना से अंग्रेजी में बात करता था, अपनी पारंपरिक भाषा पंजाबी में नहीं. वह हमेशा संभावित निशानों पर अपनी जांच कराता था. एक बार सिद्धि विनायक मंदिर पर 9 एमएम कार्बाइन के साथ तैनात एक पुलिस वाले से उसने पूछा, ''क्या यह काम करता है?” इसके बाद उसने अपने ट्रेनर विलास वराक को बताया कि यह द्वितीय विश्वयुद्ध के जमाने का हथियार है. एक बार जब भट्ट ने उसे मजाक में 'एजेंट हेडली’ कहकर पुकारा तो वह गुस्से से भर गया.

इस बीच उसके व्यभिचारी रिश्तों के दौर लगातार जारी रहे. फरवरी, 2007 में लश्कर और आइएसआइ के अपने आकाओं से मिलने के लिए मुंबई और पाकिस्तान के बीच नौ बार की यात्रा के दौरान ही लाहौर में एक दोस्त के घर पर उसकी मुलाकात मोरक्को की एक आकर्षक लड़की फाएजा से हुई. इस जासूस और मेडिकल छात्रा के बीच आंखें चार हुईं और उन्होंने उसी महीने शादी कर ली. हेडली ने यह बात छिपा ली कि 1999 में उसकी शाजिया से शादी हो चुकी है और उसके चार बच्चे भी हैं.

मार्च 2007 में वह फाएजा को लेकर मुंबई आया, जहां दोनों ने ताज महल होटल का गहनता से जायजा लिया, जो तब हमले के लिए एकमात्र निशाना चुना गया था. हेडली के पास आइएसआइ से मिला एक सोनी एरिक्सन फोन भी था जिससे उसने होटल के अंदर के हिस्सों और कमरों की विस्तार से वीडियो रिकॉर्डिंग की.

हेडली की पहली बीवी को लेकर होटल में दोनों के बीच कहा-सुनी, रोना-धोना भी हुआ और दिसंबर, 2007 में फाएजा ने लाहौर स्थित हेडली के घर के बाहर पहुंचकर लड़ाई की. इसके लिए हेडली को आठ दिन जेल में भी बिताने पड़े. इसके बाद फाएजा ने इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास में शरण ले ली और अमेरिकी विदेश मंत्रालय के सिक्योरिटी ब्यूरो को बताया कि उसका शौहर नशीली दवाओं का अंतरराष्ट्रीय सौदागर और आतंकी जासूस है जो एक गुप्त अभियान के लिए भारत जा रहा है. उसने बताया था कि जब उसने अमेरिकी एजेंटों से बात की तो उनके पास पहले से ही हेडली के बारे में एक फाइल मौजूद थी. महत्वपूर्ण यह है कि ऐसी कोई भी खुफिया जानकारी कभी भी भारतीय एजेंसियों के साथ साझ नहीं की गई. इसे लेकर भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों में गुस्सा है. 

फाएजा-हेडली का रिश्ता मतभेदों से भरा, हिंसक था और 2008 में इसका अंत हो गया. वैसे, 2007 में ही हेडली की सोच कहीं और केंद्रित हो गई थी. आइएसआइ और उसका पालतू लश्कर, दोनों दबाव में थे. आइएसआइ कश्मीर स्थित जेहादी संगठनों को तालिबान के साथ मिलने से रोकना चाहती थी. लश्कर खुद आंतरिक संकट से गुजर रहा था.

हेडली ने एनआइए को बताया है कि तब यह संगठन टूट रहा था. लश्कर के दो अहम आतंकी सरगना अलग होकर अफगानिस्तान में लडऩे चले गए थे. इसके सैन्य कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी को अपने बाकी बचे आतंकियों को एक रखने और उन्हें कश्मीर के लिए लडऩे को प्रेरित करने में काफी मुश्किल हो रही थी. हेडली ने कहा, ''इसकी वजह से वे भारत के खिलाफ एक 'जबरदस्त’ आतंकी हमला करने पर मजबूर हुए.” ऐसा हमला जिससे हिंसा का रंगमंच पाकिस्तान की जमीन से हटकर भारत की जमीन पर चला जाता.

हेडली 26/11 के हमलों के बाद भी आजादी से भारत में घूमता रहा और नए आतंकी हमलों की साजिश के तहत उसने मार्च 2009 में जयपुर, दिल्ली, गोवा और पुणे के चक्कर लगाए. एक छुपा हुआ बड़ा अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी बनने की उसकी बेताबी उसी तरह से लत लगाने वाली थी जैसे कि अफगानी हेरोइन, जिसका वह 1980 के दशक में आदी हो गया था.

लश्कर से अलग हुए कराची स्थित संगठन 'जुंद-उल-फिदा’ की तरफ से कई ठिकानों की टोह लेते हुए उसने योजना बनाई कि बंदूकधारी आतंकियों को दिल्ली के नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी में घुसाया जा सकता है और वहां भारतीय सशस्त्र सेना के इतने ज्यादा वरिष्ठ अधिकारियों की हत्या की जा सकती है, ''जितने पाकिस्तान के साथ भारत के युद्ध में भी नहीं मारे गए होंगे.” यह सब शिकागो में रहने वाले राना और हेडली के बीच कोड वर्ड में हुई बातचीत से पता चला. दोनों ने मिलकर गोवा के चबाड हाउस में इज्राएली पर्यटकों की हत्या करने और पुणे के ओशो आश्रम में पश्चिमी देशों के पर्यटकों को मार डालने की साजिश रची.

मुंबई हमलों में हेडली की भूमिका से आतंकी जगत में उसका सम्मान बढ़ गया और पाकिस्तान के भीतर स्थित दूसरे आतंकी संगठनों का भी ध्यान उस पर गया. मई, 2009 में वह पाकिस्तान के संघ शासित कबाइली इलाके (फाटा) में एक आंख वाले इलियास कश्मीरी से मिला जो अल कायदा से जुड़े संगठन 313 बिग्रेड का मुखिया था. कश्मीरी ने डेनमार्क के अखबार जिलैंड्स-पोस्टेन के कोपेनहेगन स्थित दफ्तर पर हमला करने के लिए हेडली की मदद मांगी.

इसी अखबार ने 2005 में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून छापा था. वह चाहता था कि अल कायदा अखबार के दफ्तर पर हमला करे, पत्रकारों के सिर कलम कर दे और उनके कटे सिर सड़कों पर फेंक दे. हेडली इस अभियान को लेकर इतना उत्साहित हो गया कि उसने खुद आत्मघाती हमलावर बनने की इच्छा जताई. वह पूरी तरह से जेहादी बन चुका था. लेकिन जाहिर तौर पर अल कायदा से जुड़ा संगठन यही चाहता था कि हेडली वही करे जो अच्छे से कर सकता है: संभावित निशानों का अध्ययन करना.

अगस्त, 2009 में वह अपने अंतिम टोही अभियान पर निकल गया. उसने स्वीडन, डेनमार्क और जर्मनी की यात्राएं कीं और जल्दी ही ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों के रडार पर आ गया. ब्रिटिश एजेंसियों ने इसकी जानकारी अमेरिकी संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआइ) को दी और आखिरकार कोपेनहेगेन में हमला करने से पहले ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

भारत को हेडली चाहिए
सीआइए के पूर्व अधिकारी और अब वाशिंगटन डीसी के थिंकटैंक ब्रुकिंग्स इंटेलिजेंस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर ब्रूस रीडेल का कहना है कि हेडली को सजा मिलना उस प्रक्रिया का हिस्सा है जिससे खुफिया एजेंसियों को महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं, भले ही इससे भारत असंतुष्ट हो सकता है. रीडेल कहते हैं, ''आतंक से लड़ रहे एक प्रोफेशनल खुफिया अधिकारी के नजरिए से देखें तो इस बारे में हेडली से सूचनाएं हासिल करना बहुत महत्वपूर्ण है कि कौन लोग शामिल थे, यह सब कैसे हुआ. इससे इस बारे में गहरी अंदरूनी जानकारी मिली है कि लश्कर और उसकी संरक्षक आइएसआइ कैसे काम कर रही हैं.’’

सार्वजनिक तौर पर दिए जा रहे बयानों के बावजूद हेडली के प्रत्यर्पण की संभावना बÞत ही कम है. 29 जनवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी किंल्टन ने कहा कि 26/11 के पीडि़तों को न्याय एक 'अधूरा काम है’. केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे भी फरवरी की शुरुआत में सुरक्षा पर होने वाले एक सम्मेलन में अमेरिकी अधिकारियों के सामने प्रत्यर्पण की मांग पर जोर देंगे.

एनआइए को उम्मीद है कि उसे दूसरे नंबर का महत्वपूर्ण शख्स मिल सकता है—हेडली के सहयोगी राना का प्रत्यर्पण हो सकता है. इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ''लेकिन कौन जानता है कि कल भारत के हत्थे कोई ऐसा व्यक्ति चढ़ जाए जिसे अमेरिका तलाश रहा हो, तब हेडली मोल-तोल की वस्तु बन सकता है.”

हेडली को 24 जनवरी को जब सजा सुनाई गई तो वह असहजता से इधर-उधर हो रहा था और शिकागो कोर्टरूम की फर्श को घूर रहा था. 53 वर्षीय लिंडा रैग्सडाले ने बताया कि किस तरह 26 नवंबर, 2008 को ओबेरॉय होटल में आतंकियों ने उनकी रीढ़ की हड्डी में गोली मारी थी. उन्होंने कहा, ''मैं जानती हूं कि शरीर के हर हिस्से में कोई गोली क्या कर सकती है...ये ऐसी चीजें हैं जो मुझे कभी जानने की जरूरत नहीं थी, कभी अनुभव नहीं करना चाहती थी.” लेकिन खून-खराबे का षड्यंत्रकारी शांत था. उसने अपना मिशन पूरा कर लिया था.

 —साथ में भावना विज अरोड़ा और किरण तारे

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