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दाउद इब्राहिम: डी कंपनी के लंबे हाथ

कुछ साल पहले आइबी ने दाऊद को खत्म करने के लिए उसके दुश्मन छोटा राजन के खास गुर्गों विकी मल्होत्रा और एजाज लकड़वाला को पाक भेजा था, लेकिन ऐन वक्त पर योजना नाकाम हो गई.

दाऊद दाऊद
दीपक शर्मा
  • नई दिल्‍ली,
  • 16 जनवरी 2013,
  • अपडेटेड 3:03 PM IST

पाकिस्तान के कराची में भारत का मोस्ट वांटेड अपराधी दाऊद इब्राहिम पिछले 18 साल से पूरी ठसक से रह रहा है. पाक का नामचीन खिलाड़ी जावेद मियांदाद उसका समधी है, देश का असली हुक्मरान यानी फौज का मुखिया उसका जिगरी दोस्त है और उसके घर की हॉटलाइन सीधे इस्लामाबाद के शीर्ष सियासी नेतृत्व से जुड़ी है. 

इंटरपोल इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक दाऊद अपने लाव-लश्कर के साथ कराची के पॉश क्लिफटन इलाके में एक शानदार बंगले में रहता है. बंगले के पास ही जर्मनी और सऊदी अरब के दूतावास हैं. इससे थोड़ी दूरी पर कराची पुलिस की चौकी है. और यही कोई एक फर्लांग की दूरी पर पाकिस्तान के सबसे नामवर भुट्टो परिवार का बंगला है.

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अगर आइबी के एक संयुक्त निदेशक की मानें तो व्हाइट हाउस के नाम से मशहूर दाऊद के बंगले पर आइएसआइ प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल ज़हिरुल इस्लाम का आना-जाना है. यही नहीं, आइएसआइ के पूर्व प्रमुख हामिद गुल भी व्हाइट हाउस के जाने-माने मेहमान हैं. शायद इसीलिए कराची में खुलेआम घूम रहे डॉन को पकडऩा मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है.

1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट के मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम के दामन पर 257 बेकसूर लोगों के खून के छींटे हैं. आइएसआइ के हुक्म पर दुबई से इस सनसनीखेज वारदात को अंजाम देने के बाद दाऊद अपने परिवार और गिरोह के साथ कराची भाग निकला. कराची में अब व्हाइट हाउस के अलावा उसके डिफेंस एरिया में दो बंगले और हैं.

दाऊद के साथ उसका भाई अनीस इब्राहिम और खास गुर्गा छोटा शकील भी डिफेंस हाउसिंग स्कीम एरिया में रहते हैं. अनीस के घर से ही कुछ दूर पर दाऊद के समधी जावेद मियांदाद का बंगला है. जाहिर है, मियांदाद ही अब कराची से चल रही कुख्यात डी कंपनी के 'ब्रांड एंबेसडर’ हैं. हैरत यह है कि मियांदाद को फिर भी भारत आने का वीजा मिल गया भले ही हंगामा मचने पर वे यहां आने की हिम्मत न जुटा पाए.

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मुंबई सीरियल ब्लास्ट के मुख्य जांच अधिकारी ओ.पी. चटवाल के मुताबिक उन्होंने दाऊद के कराची में तीन एड्रेस जिनमें व्हाइट हाउस के अलावा दो नए पते हैं, इंटरपोल के जरिए इस्लामाबाद को सौंपे हैं. ''हमने दाऊद और अनीस इब्राहिम के फोन नंबर, बंगलों के मुकम्मिल पते, उनके परिवारवालों की सारी जानकारियां पाकिस्तान सरकार को मुहैया कराई हैं.

हमने दुनिया पर दबाव डालकर दाऊद के खिलाफ इंटरपोल का स्पेशल नोटिस जारी करवाया. संयुक्त राष्ट्र की सूची में उसे अंतराष्ट्रीय आतंकवादी के तौर पर नामजद कराया है. फिर भी पाकिस्तान उसे भारत को सौंपने  को तैयार नहीं,” चटवाल ने इंडिया टुडे से खास बात में यह अहम जानकारी दी. उनका कहना है कि आइएसआइ फिलहाल दाऊद के गिरोह को न सिर्फ सुरक्षा मुहैया करा रही है बल्कि उसके ड्रग्स के काले कारोबार में भी मददगार है.

सच तो यह है भारत में नशीली दवाओं की तस्करी ही डी कंपनी का पैसा उगाही का सबसे बड़ा धंधा है. इसके बाद क्रिकेट पर लगने वाला सट्टा, नकली नोट का कारोबार और हवाला  डी कंपनी की काली कमाई के साधन हैं. अरबों रुपए की यह कमाई दाऊद ने कंस्ट्रक्शन के बड़े प्रोजेक्ट में झोंक रखी है. ये प्रोजेक्ट पाकिस्तान और खाड़ी देशों में चल रहे है. चौंकाने वाली बात यह  है कि डी कंपनी ने मुंबई पर फिर निशाना साधा है. इस बार टारगेट पर बॉलीवुड की जगह मुंबई में सोने की खान कहलाने वाली रियल एस्टेट इंडस्ट्री है.

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महाराष्ट्र एटीएस के अपर पुलिस महानिदेशक राकेश मारिया ने इंडिया टुडे से खुलासा किया कि ''मुंबई में दाऊद के कई फ्रंट मैन हैं, जो बड़े पैमाने पर हवाला के जरिए रियल एस्टेट में पैसा निवेश कर रहे हैं.

दाऊद भले ही कराची में है लेकिन उसकी निगाह मुंबई से नहीं हट सकती. काली कमाई का जो पैसा पहले फिल्मों में लगता था वह अब फ्रंट के जरिए रियल एस्टेट में लगाया जा रहा है. हमें यह जानकारी है कि नए एजेंट्स के जरिए दाऊद गोवा से लेकर गुजरात तक फैले समुद्री तट पर ड्रग्स की तस्करी में भी शरीक है.”

मारिया डी कंपनी के खिलाफ कई मामलों की जांच कर चुके हैं. आइएसआइ दाऊद को अभी भी नकली नोटों की तस्करी और ड्रग्स के धंधे में भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रही है.” अपने पुलिस करियर पर कंपनी और ब्लैक फ्राइडे जैसी फिल्मों को प्रेरित कर चुके मारिया ने कहा कि आइएसआइ जैसा बड़ा तंत्र उसके पीछे है वरना वह कराची में एक पल नहीं टिक सकता.

इंटेलिजेंस ब्यूरो की एक बेहद सीक्रेट रपट के अनुसार कुछ साल पहले आइबी के एक निदेशक की अगुआई में कराची में दाऊद को मार गिराने का जाल बिछाया गया था. इस सीक्रेट ऑपरेशन में दाऊद के दुश्मन छोटा राजन के दो खास गुर्गों विकी मल्होत्रा और एजाज लकड़वाला समेत कई खरतनाक गैंगस्टर को पाकिस्तान भेजा गया था.

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तयशुदा प्लान के मुताबिक दाऊद को एक जनाजे में कराची के एक कब्रिस्तान में पहुंचना था, जहां लकड़वाला और उसके साथी उसको मार गिराते. लेकिन दाऊद ऐन वक्त पर जानाजे में शामिल नहीं हुआ और बच निकला.

सवाल यह है कि जो सरकार जेल में कैद कसाब जैसे मौत के सौदागर को भी एहतियात बरत कर फांसी देती है और फिर डर-डर के दफनाती है, वह सरकार कराची में आइएसआइ की गोद में बैठे डॉन पर हाथ डालने का हौसला कहां से लाएगी. और तब तक भारत का मोस्ट वांटेड पाकिस्तान में फिक्र को धुएं में उड़ाता रहेगा.

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