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स्वाति मालीवाल का मोदी को पत्र- दिल्ली में बच्ची का नहीं, मेरा हुआ रेप

स्वाति मालिवाल ने लिखा कि मैंने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष और दिल्ली की बेटी होने के नाते आपको पिछले 2 सालों में कई पत्र लिखे हैं. पर मुझे दुख है कि मेरे एक भी पत्र पर आपने जवाब देना भी ठीक नहीं समझा. सर आप मेरे प्रधानमंत्री हैं, पूरे देश की तरह मुझे भी आपसे बहुत आस है.

स्वाति मालीवाल स्वाति मालीवाल
अजीत तिवारी/पुनीत शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 03 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 6:33 PM IST

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने आठ महीने की उस बच्ची का जिक्र किया है कि जो अभी दिल्ली के एम्स अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है.

उन्होंने लिखा...

सेवा में

श्री नरेन्द्र मोदी जी

प्रधान मंत्री भारत सरकार

माननीय प्रधानमंत्री जी,

आपका ध्यान मैं दिल्ली की एक 8 महीने की बेटी की ओर दिलाना चाहती हूं. यह नन्ही सी जान इस वक्त दिल्ली के एम्स अस्पताल में तड़प रही है. उसके साथ एक 27 साल के आदमी ने बर्बरता से बलात्कार किया है. बच्ची का 3 घंटे तक ऑपरेशन चला है और उसकी हालत नाजुक है. पिछले 4 दिनों में कई बार मैं उस बच्ची से मिली हूं और मैं बता नहीं सकती कि मैं क्या महसूस कर रही हूं. सर उस बच्ची की चीखों से पूरा अस्पताल गूंजा है. मेरे ज़हन से उसकी आंखें और सिसकियां जा ही नहीं रही हैं. कल फिर एक 6 साल की बच्ची के साथ बलात्कार हुआ. उसको अमानवीय चोटें आयीं, जिससे पूरे शरीर में संक्रमण फैल गया और उसकी मौत हो गई. यह सच है कि नन्ही परी का नहीं बल्कि मेरा बलात्कार हुआ है.

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मैंने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष और दिल्ली की बेटी होने के नाते आपको पिछले 2 सालों में कई पत्र लिखे हैं. पर मुझे दुख है कि मेरे एक भी पत्र पर आपने जवाब देना भी ठीक नहीं समझा. सर आप मेरे प्रधानमंत्री हैं, पूरे देश की तरह मुझे भी आपसे बहुत आस है. इस छोटी सी बच्ची और ऐसी लाखों बच्चियों को बचाने की जिम्मेदारी आपके कंधों पर है. इसके लिए मैं आपसे सहयोग की अपेक्षा रखती हूं.

आज देश में बच्चों के साथ बलात्कार की वारदातें इसलिए बढ़ रही हैं क्योंकि अपराधियों को अपराध करने से डर नहीं लगता. उन्हें लगता है कि वह किसी भी महिला एवं बच्चे के साथ कुछ भी करेंगे और यह नपुंसक सिस्टम उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा. उनके हौसले इसलिए बुलंद हैं क्योंकि हमारे देश में न्याय पाने की लड़ाई बहुत कठिन है. दिल्ली पुलिस ने हमें बताया कि 2012 से 2014 के बीच में 31,446 महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दिल्ली में दर्ज हुए और 150 से कम मामलों में सजाएं हुई. आप ही बताइए, अगर सजाएं नहीं होंगी तो अपराध करने से किसे डर लगेगा? आज सच्चाई यह है कि दिल्ली, देश की राजधानी में आम लोग डरे रहते हैं और अपराधी मजबूत हैं. सबसे ज्यादा दुख की बात है कि हमारा सिस्टम अपराधियों को सजा दिलाने में असमर्थ है. इस चरमराती हुई व्यवस्था को बदलना ही होगा.

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मुझे कल यह जानकार बहुत दुःख हुआ कि 8 महीने की बच्ची के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय में केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि छोटी बच्चियों के बलात्कार के मामले में अपराधी को सजा-ए-मौत जरूरी नहीं है. यह सही नहीं है. अगर एक 8 महीने की बच्ची के बलात्कारी को कड़ी सजा नहीं दी जाएगी तो बताईये देश में रेप कैसे रुकेंगे?

हमें देश में ऐसा सिस्टम बनाना ही होगा जिसमें कम से कम छोटी बच्चियों के बलात्कार के दोषियों को 6 महीने के अंदर हर हाल में सजा-ए-मौत दी जाए. इससे अपराधियों के मन में भय बैठेगा. आज की स्थिति तो यह है की देश में निर्भया तक को न्याय नहीं मिला. आज भी उसके कातिल जिंदा है. इस खराब व्यवस्था को बदलना ही होगा. इसके लिए आपसे गुजारिश है कि आप इस मामले में संज्ञान ले और हमारी मदद करें. देश में एक ऐसी व्यवस्था कायम करें जिसमें हर हाल में और तुरंत छोटी बच्चियों के बलात्कारियों को सजा-ए-मौत हो. इसके लिए आपको नीचे लिखी हुई बिंदुओं पर जल्द निर्णायक कदम उठाने चाहिए...

1. एक ऐसा कठोर कानून बनाएं जिससे हर हाल में छोटे बच्चों के बलात्कारियों को 6 महीने में सजा-ए-मौत दी जाए.

2. दिल्ली पुलिस पिछले 10 साल से केंद्र सरकार से 66,000 हजार पुलिसकर्मी मांग रही है. आज तक केंद्र सरकार ने एक भी पुलिसकर्मी नहीं दिया. नतीजन दिल्ली पुलिस VIP ड्यूटी तो कर पा रही है लेकिन जनता की ड्यूटी करने में कमजोर साबित हो रही है. हर पुलिस स्टेशन इस वक्त अपने निर्धारित स्टाफ से आधे पे काम कर रहा है. बताइए वह दिल्ली की जनता को कैसे सुरक्षित कर पाएंगे? तुरंत दिल्ली पुलिस को 66,000 पुलिसकर्मी दिए जाएं.

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3. मुझे दुख होता है आपको बताते हुए कि केंद्र सरकार पिछले 10 सालों से देशभर की पुलिस की कार्यशैली का डिजिटलीकरण करने की कोशिश कर रही है पर अब तक वह एक सशक्त सॉफ्टवेयर बनाने में असमर्थ रही है जिसकी वजह से पुलिस की जवाबदेही तय कर पाना कठिन होता है. दिल्ली पुलिस का डिजिटलीकरण करने हेतु एक सशक्त सॉफ्टवेयर तुरंत बनाया जाए.

4. देशभर में कोर्ट और जजों की भारी कमी से तो आप अवगत ही हैं. हमें दिल्ली में इतने कोर्ट बनाने पड़ेंगे की तेज गति से बच्चों के बलात्कार के मामलों में डेली ट्रायल्स हो. आज की स्थिति तो यह है कि कोर्ट की लंबी-लंबी डेट्स पीड़ित लड़कियों का मनोबल तोड़ देती है.

5. साथ ही फॉरेंसिक लेबोरेटरी और प्रॉसिक्यूशन डिपार्टमेंट के कार्यशैली को भी सशक्त करने की जरूरत है.

बहुत बार लोगों को कहते सुनती हूं कि हमारे देश में बलात्कार इसलिए हो रहे हैं क्योंकि हमारी मानसिकता ही खराब है. ये बातें बहुत चुभती हैं.  हमारा देश वीर और वीरांगनाओं का देश है. शिवाजी और रानी लक्ष्मीबाई जैसे योद्धाओं का देश है. हमारी संस्कृति में हमेशा से महिलाओं की पूजा होती आई है. फिर आज घिनौने बलात्कार की वारदातें हम लोगों के मानसिकता पर कैसे डाल सकती हैं? आज बढ़ते हुए बलात्कारों का सबसे प्रमुख कारण है कि अपराधी बेखौफ हैं. आपसे गुजारिश करती हूं कि हम सब मिलकर ऐसा भारत बनायें जिसमें अगर किसी बच्ची के साथ बलात्कार करने की कोई सोचे भी, तो उसकी रूह कांप जाए.

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सर पिछले दो सालों में हमने काफी काम करने की कोशिश की है. जो महिला आयोग एक समय अपनी चुप्पी और निष्क्रियता के लिए बदनाम हुआ करता था, आज कड़ी मेहनत और तपस्या से हम उसे इस मुकाम पर लेकर आए हैं कि हर दिन कई सौ महिलाओं की मदद करते हैं. 1 साल के अंदर हमने 12,000 मामलों की सुनवाई की, सवा तीन लाख कॉल अपनी हेल्पलाइन पर सुने, 7500 जमीनी विजिट की, 5500 कोर्ट केसे में यौन शोषित महिलाओं और बच्चियों की मदद की, 1869 काउंसलिंग सेशन किए और सरकारों को 55 से ज्यादा सुझाव दिए. गर्व के साथ कहना चाहती हूं कि दिल्ली महिला आयोग देश का इकलौता आयोग है जिसका दफ्तर शनिवार को भी खुलता है. हम दिन रात मेहनत कर रहे हैं. पर  इतना सब कुछ करने के बावजूद हमारा काम तब तक अधूरा है, जब तक सरकार हमारा साथ नहीं देगी.

इसलिए मैं 30 दिन का सत्याग्रह कर रही हूं. आज मेरे सत्याग्रह का चौथा दिन है. मैं पूरे 30 दिन तक अपने घर नहीं जाउंगी. पूरा दिन ऑफिस में काम करने के बाद रात में अलग-अलग जगहों पर जाकर निरीक्षण करूंगी और दोगुना काम करूंगी. दफ्तर में ही सोऊंगी. यह सत्याग्रह मैं हमारी सोई हुए व्यवस्था को जगाने के लिए कर रही हूं. मैं आपसे अपने सत्याग्रह के लिए सहयोग की अपेक्षा करती हूं. मैं चाहती हूं कि आप 8 महीने की बच्ची से मिलें और तुरंत एक उच्च स्तरीय समिति की मीटिंग बुलाएं जिसमें केन्द्रीय गृह मंत्री, दिल्ली के उपराज्यपाल, दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के पुलिस आयुक्त और दिल्ली महिला आयोग शामिल हों. आपसे अनुरोध है कि सबसे मिलकर अगले 30 दिन के अंदर मेरे सत्याग्रह के दौरान देश में बलात्कारियों के खिलाफ एक सख्त व्यवस्था बनाने के लिए निर्णायक कदम उठाएं.

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आपकी बेटी,

(स्वाति जय हिन्द)

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