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इन्फोसिस की नौकरी छोड़ मूक-बधिर इंजीनियर खींच रहा लोगों का ध्यान

पेशे से आईटी से इंजीनियर और नामी सॉफ्टवेयर कंपनी infosys की लाखों नौकरी छोड़ कर  सतना विधानसभा से चुनाव लड़ रहा है मूक-बधिर सुदीप शुक्ला. अपनी दो बहन जो कि उसके लिए इंटरप्रेटर का काम करती हैं, उन बहनों और दूसरे मूक-बधिरों के साथ चुनाव प्रचार में दिन-रात जुटा है सुदीप शुक्ला.

सतना में मूक-बध‍िर सुदीप शुक्ला का चुनाव प्रचार  (Photo:Facebook) सतना में मूक-बध‍िर सुदीप शुक्ला का चुनाव प्रचार (Photo:Facebook)
कुमार अभिषेक/श्याम सुंदर गोयल
  • भोपाल/नई द‍िल्ली,
  • 22 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 5:12 PM IST

पेशे से आईटी इंजीनियर और नामी सॉफ्टवेयर कंपनी infosys की लाखों नौकरी छोड़कर सतना विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं मूक-बधिर सुदीप शुक्ला. उनकी दो बहनें उनके लिए इंटरप्रीटर का काम कर रही हैं. दूसरे मूकबधिर साथियों के साथ सुदीप दिन रात चुनाव प्रचार में जुटेहैं. अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने उन्हें अपनी पार्टी से टिकट दिया है.

सुदीप शुक्ला का चुनाव प्रचार बेहद निराला है. सुदीप के साथ दर्जनों की तादाद में मुक बधिर, दिव्यांग हैं और इस चुनाव में सुदीप की जीत सुनिश्चित करने निकले हैं. ये लोग टोली बनाकर निकलते हैं और डोर टू डोर कैंपेन कर रहे हैं.

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सुदीप शुक्ला न बोल पाते हैं न सुन पाते हैं लेकिन इशारों में बताते हैं कि आखिर क्यों उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया. सुदीप की दो बहनें हमेशा उनके साथ होती हैं जो इशारों में कही गई बातों को लोगों को बताती हैं और  लोगों को समझाती हैं कि आखिर क्यों सतनाको ऐसा विधायक चाहिए.

कैसे अपनी बात पहुंचा रहे हैं सुदीप

यह देखना बेहद ही मनोरंजक है कि किस तरीके से ढोल-मंजीरे लेकर सुदीप शुक्ला के समर्थक एक टोली बनकर निकलते हैं. सुदीप इलाके के मुद्दों को, लोगों की परेशानियों को और आम आदमी की जरूरतों को अपने हाथ के इशारे से बताते हैं जिसे उनकी दोनों बहनें पढ़ती हैं और फिरबताती हैं कि सुदीप क्या बोल रहे हैं.

दिव्यांगों को हमेशा सम्मान दिया है

एक टी-शर्ट पर चित्रकूट के संत बाल भद्राचार्य की तस्वीर लगी है जो खुद आंखों से नहीं देख सकते लेकिन वह बड़े संत के तौर पर गिने जाते हैं. एक मूक-बधिर उम्मीदवार उनसे आशीर्वाद लेकर जनता के बीच में हैं और कहता है कि मध्य प्रदेश वह जगह है जिसने दिव्यांगों कोहमेशा सम्मान दिया है. 1980 में रीवा से जो सांसद जीते थे वह देख नहीं सकते थे, यानी वह अंधे थे. किन्नरों ने रीवा से लेकर भोपाल तक कई सीटों पर जिला परिषद की कई सीटों पर पहले जीत दर्ज की है और यही सुदीप शुक्ला को भी उम्मीद जगाती है.

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बदलना चाहते हैं समाज को 

सुदीप शुक्ला के मेंटर ज्ञानेंद्र पुरोहित के मुताबिक, सुदीप ने खुद से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी कि वह दिव्यांग भले हो, मूक बधिर भले हो लेकिन वह भी समाज को बदलना चाहता है. समाज के लिए कुछ करना चाहता है इसलिए वह चुनाव लड़ रहा है. उसकी इसी इच्छा नेपरिवार और फिर इलाके के लोगों को उसे चुनाव लड़ाने के लिए प्रेरित किया.

भावनाओं को समझेगी जनता 

लाखों रुपए की महीने की सैलरी छोड़ कर सुदीप शुक्ला इस समय सतना शहर के सड़कों की खाक छान रहे हैं. सुदीप को उम्मीद है की जनता उन्हें हमदर्दी की वोट नहीं देगी बल्कि उनकी भावनाओं को समझकर उन्हें विधायक बनाएगी.

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