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कहते हैं कि मकबूल फिदा हुसैन और विवादों का चोली-दामन का साथ था. वैसे तो ऐसा सभी का मानना है कि उनकी कलात्मक प्रतिभा का कोई सानी नहीं, लेकिन उनकी बेबाकी बहुतों को खलती थी. खासतौर से कट्टरपंथियों को. वे साल 2011 में 9 जून की तारीख को दुनिया से रुखसत हो गए थे.
1. उनकी फिल्म थ्रो द आइज ऑफ ए पेंटर को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार का बेस्ट एक्सपेरिमेंटल फिल्म पुरस्कार मिला.
2. अपने शुरुआती और संघर्ष के दिनों में वे पैसे कमाने के लिए फिल्मों के होर्डिंग्स पेंट किया करते थे.
3. वे कभी जूते-चप्पल नहीं पहनते थे और हमेशा नंगे पांव रहते थे.
4. उन्हें साल 1973 में पद्म भूषण और साल 1991 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
5. उन्हें राम और कृष्ण की कथाओं को आम जनमानस के बीच पहुंचाने का श्रेय भी जाता है.
6. वे कहते थे कि, मुझे जंगल में छोड़ देंगे तो भी मैं वहां से कुछ रचनात्मक बनाकर ही लौटूंगा.