
हरिवंश राय 'बच्चन' हिंदी भाषा साहित्य के स्तंभों में से एक हैं. 18 जनवरी को उनकी पुण्यतिथि है. वह हिंदी के प्रमुख कवियों में से एक हैं. उन्हें सबसे अधिक लोकप्रियता 'मधुशाला' की वजह से मिली और मधुशाला उनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियों में से एक है. उनका जन्म 27 नवंबर 1907 यूपी के प्रतापगढ़ जिले के बाबू पट्टी गांव में हुआ था. हरिवंश राय बच्चन का जीवन काफी चुनौती भरा रहा. उनका निधन 18 जनवरी 2003 को हुआ था.
जानें बच्चन जी से जुड़े कुछ रोचक किस्से.
हरिवंश राय बच्चन ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई की और वो कई राजकीय पदों पर भी रहे. उन्होंने भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में भी हिंदी विशेषज्ञ के तौर पर काम किया था और उन्हें राज्य सभा सदस्य भी मनोनीत किया गया. बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन उनके पुत्र हैं. उन्होंने कायस्थ पाठशाला में पहले उर्दू की शिक्षा ली. उसके बाद उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू बी यीट्स की कविताओं पर शोध करते हुए पीएचडी की. हरिवंश राय बच्चन की लोकप्रियता की सबसे बड़ी वजह यह थी कि वे बहुत ही गंभीर मुद्दों को सरल अंदाज में बयां करना जानते थे. हरिवंश राय हालावाद के प्रवर्तक कवि थे.
अंग्रेजी, उर्दू में पढ़ाई कर हरिवंश राय बच्चन बने हिंदी के कवि
जब लिखा 'मेरे बेटे मुझसे पूछते हैं कि हमें पैदा क्यों किया था'
ज़िन्दगी और ज़माने कीकशमकश से घबराकर
मेरे बेटे मुझसे पूछते हैं कि
हमें पैदा क्यों किया था?
और मेरे पास इसके सिवाय
कोई जवाब नहीं है कि
मेरे बाप ने मुझसे बिना पूछे
मुझे क्यों पैदा किया था?
और मेरे बाप को उनके
बाप ने बिना पूछे उन्हें और
उनके बाबा को बिना पूछे उनके
बाप ने उन्हें क्यों पैदा किया था?
ज़िन्दगी और ज़माने की
कशमकश पहले भी थी,
आज भी है शायद ज्यादा…
कल भी होगी, शायद और ज्यादा…
तुम ही नई लीक रखना,
अपने बेटों से पूछकर
उन्हें पैदा करना.
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प्रमुख कृतियां
मधुशाला उनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियों में से एक है. इसके अलावा इन प्रमुख कृतियों में मधुबाला, मधुकलश, मिलन यामिनी, प्रणय पत्रिका, निशा निमंत्रण, दो चट्टानें आदि शामिल हैं. कविताओं में तेरा हार, एकांत संगीत, आकुल अंतर, सतरंगिनी, हलाहल, बंगाल का काल, सूत की माला, खादी के फूल, प्रणय पत्रिका आदि शामिल है. साथ ही अग्निपथ, क्या है मेरी बोरी में, नीड का निर्माण, गीत मेरे आदि रचनाएं भी काफी लोकप्रिय हुई. 'क्या भूलूं क्या याद करूं' हरिवंश राय बच्चन की बहुप्रशंसित आत्मकथा है.
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पुरस्कार
उन्हें 'दो चट्टाने' को लेकर हिंदी कविता के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके बाद उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार और एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. बिड़ला फाउंडेशन ने उनकी आत्मकथा के लिए उन्हें सरस्वती सम्मान दिया. बच्चन को भारत सरकार ने साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया.