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चिड़ियाघर में जानवरों की मौत के आंकड़े छिपाने को लेकर दिल्ली HC का नोटिस

याचिका में आरोप लगाया गया है कि 1959 में अस्तित्व में आए इस चिड़ियाघर में प्रशासन पूरी तरह से लापरवाह और खराब है. सेंट्रल जू अथॉरिटी ने अपनी जांच में पाया है कि चिड़ियाघर में पोस्टमॉर्टम की गलत और झूठी रिपोर्ट तैयार कर मौतों को छिपाने की कोशिश भी हुई है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 26 मई 2018,
  • अपडेटेड 4:19 AM IST

दिल्ली हाइकोर्ट में नेशनल जूलॉजिकल पार्क (चिड़ियाघर) प्रशासन पर संरक्षित प्रजाति के जीव-जंतुओं की मौत के मामले को छिपाने का आरोप लगाते हुए एक जनहित याचिका दायर की गई है. एक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस दीपा शर्मा की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और सेंट्रल जू अथॉरिटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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कोर्ट ने इन सभी इस गंभीर मामले पर अपना पक्ष रखने को कहा है. ये याचिका जानवरों के अधिकारों के लिए काम करने वाली गौरी मौलेखी की तरफ से दायर की गयी है. याचिका में सेंट्रल जू अथॉरिटी की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया है कि चिडियाघर में लंगूर और हॉग डियर समेत कई संरक्षित प्रजातियों के जानवरों की पिछले कुछ वक्त में बड़े पैमाने पर मौतें हुई हैं.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि 1959 में अस्तित्व में आए इस चिड़ियाघर में प्रशासन पूरी तरह से लापरवाह और खराब है. सेंट्रल जू अथॉरिटी ने अपनी जांच में पाया है कि चिड़ियाघर में पोस्टमॉर्टम की गलत और झूठी रिपोर्ट तैयार कर मौतों को छिपाने की कोशिश भी हुई है.

इतना ही नहीं जानवरों की मौतों को छिपाने और संख्या को बराबर करने के लिए जंगलों से पकड़कर भी यहां जानवरों को लाया गया है. यहां जानवरों का ठीक से इलाज भी नहीं किया जाता है क्योंकि मेडिकल सेवा पूरी तरह से ठप पड़ी है. ऐसे में याचिकाकर्ता की ओर से अपील की गई है कि कोर्ट इस मामले की जांच के आदेश दे.

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