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मदरसों के खिलाफ लिखने वाले वसीम रिजवी पर 20 करोड़ का मानहानि केस

जमात-ए-उलेमा-ए-हिंद ने वसीम रिजवी से देश से बिना शर्त माफी मांगने को भी कहा है. यह लीगल नोटिस जमात-ए-उलेमा-ए-हिंद के महाराष्ट्र के अध्यक्ष मुस्तकीम एहसान ने शिया सेंट्रल बोर्ड के अध्यक्ष, वसीम रिजवी को भेजा है.

वसीम रिजवी वसीम रिजवी
कुमार अभिषेक
  • नई दिल्ली,
  • 12 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 12:02 PM IST

मदरसा शिक्षा के खिलाफ पीएम मोदी को चिट्ठी लिखने पर जमात-ए-उलेमा-ए-हिंद ने वसीम रिजवी पर 20 करोड़ के मानहानि का मुकदमा ठोका है साथ ही उनके सामने माफी मांगने की शर्त भी रखी है. मदरसों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के विरोध में जमात-ए-उलेमा-ए-हिंद ने वसीम रिजवी को लीगल नोटिस भेजा और 20 करोड़ के मानहानि का दावा किया है.

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जमात-ए-उलेमा-ए-हिंद ने वसीम रिजवी से देश से बिना शर्त माफी मांगने को भी कहा है. यह लीगल नोटिस जमात-ए-उलेमा-ए-हिंद के महाराष्ट्र के अध्यक्ष मुस्तकीम एहसान ने शिया सेंट्रल बोर्ड के अध्यक्ष, वसीम रिजवी को भेजा है.

उन्होंने मानहानि और लीगल नोटिस की कई वजह भी गिनवाई हैं. इस नोटिस में लिखा गया है कि 9 जनवरी को शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने प्रधानमंत्री को जो चिट्ठी लिखी जिसमें बेहद आपत्तिजनक बातें लिखी गई और इस चिट्ठी की वजह से मदरसों का और मुसलमानों की छवि को भारी नुकसान हुआ है.

ये लिखा है इस चिट्ठी में:

-इस चिट्ठी में लिखा गया है कि मदरसे सिविल सर्वेंट से ज्यादा आतंकवादी पैदा कर रहे हैं.

-हमारे मदरसे इंजीनियर और डॉक्टर बनाने में फेल है.

-हमारे मदरसे युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेल रहे हैं

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इस चिट्ठी की वजह से मदरसों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के दिमाग पर बुरा असर पड़ रहा है और लोग शक की निगाहों से देखने लगे.

लीगल नोटिस में वसीम रिजवी को मदरसा शिक्षा को लेकर लिखे गए चिट्ठी से मुसलमानों की छवि और मदरसों को भारी नुकसान बताया गया है, यही वजह है कि जमीन जमात-ए-उलेमा-ए-हिंद के महाराष्ट्र के अध्यक्ष ने ना सिर्फ लीगल नोटिस भेजा है बल्कि 20 करोड़ के मानहानि का दावा भी किया है.

वहीं वसीम रिजवी ने कहा कि मैं मुझे जारी किए गए लीगल नोटिस के बारे में सुना है लेकिन अभी वो मुझे मिला नहीं है, जब मिलेगा मैं उसका जबाब दूंगा.

बता दें कि 9 जनवरी को शिया सेंट्रल बोर्ड ने कई पन्नों की एक चिट्ठी प्रधानमंत्री मोदी को लिखी और उसमें मदरसा शिक्षा खत्म करने की वकालत की थी. साथ ही मदरसा शिक्षा की जगह सभी मदरसों को सीबीएसई या आईसीएसई स्कूलों से संबद्ध करने की मांग की थी.

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