
वर्ष 2014-15 के लिए रक्षा बजट में 12.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ सैन्य खर्च 2.29 लाख करोड़ रुपये (38 अरब डॉलर) होने के बावजूद भारत का रक्षा बजट चीन के 132 अरब डॉलर से काफी पीछे है.
बजट की गत सप्ताह घोषणा के बाद विश्लेषकों का कहना है कि चीन के सशस्त्र बलों का बजट 2014-15 के लिए भारत के रक्षा बजट से 3.5 गुना अधिक है. भारतीय सशस्त्र बलों को गत वर्ष के 2.03 लाख करोड़ रुपये की तुलना में इस वर्ष 2.29 लाख करोड़ रुपये का बजट मिला है. भारतीय सेना इस आवंटन में से 94500 करोड़ रुपये हथियार प्रणालियों की खरीद करेगी जबकि बाकी राशि का इस्तेमाल वर्तमान परिसम्पत्तियों की व्यवस्था और वेतन भुगतान पर किया जाएगा.
चीन ने अपना बजट गत मार्च में पेश किया था जिसमें उसने रक्षा बजट में 12.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी करके इसे 808 अरब युआन (करीब 132 अरब डॉलर) कर दिया था. 2013 में चीन ने राष्ट्रीय रक्षा बजट पर 720.197 अरब युआन (करीब 117.7 अरब डॉलर) खर्च किया था जो 2012 के मुकाबले 10.7 प्रतिशत अधिक है.
भारत और चीन के रक्षा बजट में इतनी अधिक असमानता ऐसे समय आयी है जब दोनों देशों की सेनाएं चार हजार किलोमीटर से अधिक लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी सैन्य क्षमताओं में वृद्धि कर रही हैं. भारतीय सशस्त्र बल पूर्वोत्तर राज्यों में क्षमता वृद्धि पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. सेना चीन के साथ सीमा से निपटने के लिए 17वीं माउंटेन स्ट्राइक कोर गठन की प्रक्रिया में है. भारतीय वायुसेना ने सुखोई 30एमकेआई लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन में बढ़ोतरी भी की है तथा लड़ाकू विमानों और अन्य विमानों के संचालन के लिए पुरानी एयरफील्ड को अपग्रेड भी कर रही है.