
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि भारत-पाकिस्तान सरहद पर तनाव का सिलसिला थम जाएगा. एजेंडा आजतक में 'हैं तैयार हम' सेशन में हिस्सा लेते हुए पर्रिकर ने सेना की तैयारियों पर बात की. इस सवाल पर कि देश युद्ध की दिशा में जा रहा है या शांति की ओर, रक्षा मंत्री ने कहा कि शांति सबसे अच्छी चीज होती है. लेकिन अगर आपको शांति का निर्माण करना है तो ताकत बढ़ानी होगी और ताकत दिखानी होगी. शांति की डगर में चलने का हमारा इतिहास रहा है. लेकिन जो युद्ध के डर से समझौता कर लेते हैं जो डरपोक कहलाते हैं.
पहले हमला नहीं करने की नीति पर पर्रिकर ने कहा कि भारत आक्रामक रवैया नहीं अख्तियार नहीं करता. हालात के मुताबिक कोई फैसला करना चाहिए. युद्ध जैसी स्थिति होगी तो थोड़ी बहुत हानि होगी. शहादत अच्छी नहीं होती. हमें भी अच्छा नहीं लगता कि युद्ध हो. टेंशन बढ़ता है तो हम भी अपने जवान खोते हैं. लेकिन रक्षा मंत्री के तौर पर हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने नागरिकों की रक्षा करें.
सर्जिकल स्ट्राइक के सवाल पर पर्रिकर ने कहा कि बॉर्डर क्रॉस करना सेना का काम है, सरकार नहीं करती. लेकिन इस बारे में फैसला पॉलिटिकल लीडरशिप को करना होता है. उन्होंने कहा, 'सर्जिकल स्ट्राइक अगर कामयाब रहा तो सभी जलने लगे. उन्हें लगने लगा कि इसका क्रेडिट सरकार लेगी. अगर नाकाम होते तो जवाबदेही भी हमारे ऊपर ही आती. हमारी आलोचना होती. अगर फैसला लेने की जिम्मेदारी मोदी सरकार की है तो कामयाबी का क्रेडिट भी मिलना चाहिए. हमने सेना को फ्री हैंड दे दिया. पहले ऐसा नहीं हुआ था.
पर्रिकर ने कहा कि मोदी सरकार सेना को लेकर राजनीति नहीं कर रही बल्कि बंगाल की मुख्यमंत्री कर रही हैं. उन्होंने कहा, 'मैंने संसद में कहा था कि सेना को राजनीति में नहीं घसीटा जाए.'
उन्होंने आगे कहा, 'मैं आरएसएस से जुड़ा रहा हूं, बीजेपी का आदमी हूं, आईआईटी का स्टूडेंट रहा हूं. इन सभी बैकग्राउंड की वजह से मैं कोई फैसला लेने में सक्षम हूं. इससे सर्जिकल स्ट्राइक पर फैसले का इससे कोई लेना-देना नहीं है. मैं गोवा में भाषण करता हूं तो केंद्र सरकार या सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र नहीं करता. पाकिस्तान का भी नाम नहीं लेता. मेरा सेंस ऑफ ह्यूमर ठीकठाक है. लेकिन यह कई बार विवाद पैदा कर देता है.'
रक्षा खरीद के मामले पर पर्रिकर ने कहा कि ये 12 साल से जैसे चलते आ रहे थे, वैसे ही चलते आ रहे हैं. अब हम इस प्रक्रिया में सुधार कर रहे हैं. किसी भी प्रोजेक्ट की शुरुआत में ही 2 से ढाई साल का समय लग जाता है. उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया से दूसरी इंडस्ट्री में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन डिफेंस का मामला अलग है. मेक इन इंडिया में 50 से ज्यादा विदेशी कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है. एमओयू पर दस्तखत हुए हैं.
भारतीय सेना की तुलना इजराइल और लेबनान की सेना से करने पर रक्षा मंत्री ने कहा कि किसी भी ऑपरेशन में 100 फीसदी कामयाबी मुमकिन नहीं है. मुझे अपनी आर्मी पर गर्व है. 1965 हो या 1971 या 1999, हमारी सेना अपनी पूरी ताकत से लड़ी. उन्होंने यह भी कहा कि बतौर रक्षा मंत्री मेरे फैसले हमेशा 100 फीसदी सही नहीं होते. 20 फीसदी गलती की गुंजाइश होती है. लेकिन इस डर से फैसला नहीं लेना हमारी आदत नहीं है.
पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के खिलाफ एक्शन से जुड़े सवाल पर पर्रिकर ने कहा, 'बतौर नागरिक मेरा मानना है कि देश की सुरक्षा के लिए जो जरूरी है, वो करना चाहिए. देश की सुरक्षा सबसे अहम है.'