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करगिल विजय दिवस के मौके पर आतंकवादी बुरहान वानी के एनकाउंटर पर कुछ मीडिया में उठे सवालों पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कड़ी प्रतिक्रिया दी.
दिल्ली में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए मनोहर पर्रिकर ने बगैर नाम लिए एक चैनल पर सवाल उठाया, ‘आखिर देश के खिलाफ बोलने का क्या मतलब है? एक आतंकवादी के मारे जाने पर कई चैनलों के प्रसारण में मैंने जो देखा है, वह सही नहीं है. आखिर कोई कैसे ये सवाल पूछ सकता है कि ‘इसको’ क्यों मारा? अब एक टेरेरिस्ट को नहीं मारेंगे तो किसको मारेंगे?’
'टीआरपी के लिए आतंकियों के मारे जाने पर सवाल न उठाएं'
रक्षा मंत्री ने साफ लफ्जों में चेतावनी भी दी कि जो लोग टीआरपी के लिए आतंकवादी के मारे जाने पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें समझ लेना चाहिए कि देश की जनता ऐसे प्रसारण को मंजूर नहीं करती है,
इससे चैनलों की लोकप्रियता भी घटेगी क्योंकि देश के खिलाफ जो भी बोलेंगे, उसे लोग पसंद नहीं करेंगे.
कहा- आतंकियों का महिमामंडन न करें
रक्षा मंत्री ने चंद पत्रकारों का नाम लिए बगैर कहा कि चीजों को ज्यादा उलझाकर देखना बंद करिए. जो सच है, वो छुपता नहीं है. आतंकवाद और आतंकवादी का महिमामंडन नहीं किया जाना चाहिए. मनोहर पर्रिकर ने संकेतों में ये भी साफ किया कि रणक्षेत्र में कांटे से कांटा निकालने की रणनीति पर चलना ही उपयुक्त होता है क्योंकि इसके बगैर काम बनता नहीं. बावजूद इसके ताकत का इस्तेमाल नियंत्रित तरीके से किया जाना चाहिए. शक्ति नियंत्रित रहने से ही ज्यादा बढ़ती है न कि बेलगाम हो जाने से.
पर्रिकर ने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वो सशक्त और परमाणु हथियार से संपन्न भारत के पक्षधर थे और उन्होंने अपने कर्तृत्व और जीवन से अपनी आंखों के सामने भारत को शक्तिशाली बनाने का सपना साकार कर दिखाया.इस मौके पर मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और एबीवीपी के संगठन महामंत्री सुनील अंबेकर समेत तमाम नेता मौजूद थे.