
भारतीय नौसेना की मंगलवार से शुरू ‘कमांडर कॉन्फ्रेंस’ का फोकस सशस्त्र सेनाओं के बीच तालमेल और साझा आपरेशन्स पर रहेगा. ये कॉन्फ्रेंस तीन दिन तक चलेगी. ऐसे में जबकि सरकार चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ की नियुक्ति करने के लिए तैयार है. नौसेना, थलसेना और वायुसेना साझा रणनीतियों से अपनी क्षमताएं बढ़ाने पर ध्यान दे रही हैं. इसके लिए तीनों सेनाओं के विभिन्न दस्तों के एक साथ प्रशिक्षण और साझा अभ्यासों को अहम माना जा रहा है.
भारतीय नौसेना ने एक बयान में कहा, ‘भविष्य के सारे ऑपरेशन तीनों सेनाओं की ओर से एक साथ प्लान किए जाएंगे और साझा तौर पर अमल में लाए जाएंगे. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA), थलसेना प्रमुख और वायुसेना प्रमुख के साथ संवाद के दौरान साझा प्लानिंग के ढांचों, तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और ऑपरेशनल तैयारियों पर विमर्श किया जाएगा.’
ज्वाइंट सर्विसेज एक्ट पर भी मंत्रणा होने की संभावना है. हाल में संपन्न थलसेना कमांडरों की कॉन्फ्रेंस में तीनों सेनाओं के लिए साझे कानून की ज़रूरत पर विचार किया गया.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को नौसेना कमांडरों की बैठक को संबोधित करने के बाद कहा कि वे समुद्र में बरती जा रही कड़ी चौकसी से संतुष्ट हैं जिससे कि फिर कभी 26/11 जैसा हमला ना हो सके.
सिंह ने कहा, ‘नौसेना ने ऐसे कदम उठाए हैं जिससे कि 26/11 जैसी स्थिति फिर ना हो, ये सुनिश्चित किया जा सके. समुद्री रूट नौसेना की निगरानी में सुनिश्चित है. वर्ष गुजरने के साथ नौसेना की क्षमताएं भी बढ़ी हैं.’
पाकिस्तान की परमाणु धमकी पर जवाब
पाकिस्तान की परमाणु धमकियों पर राजनाथ सिंह ने कहा, ‘भारत कभी आक्रामक नहीं रहा. हमने ना कभी किसी पर हमला किया और ना ही कभी किसी की एक इंच ज़मीन पर कब्ज़ा किया. अगर कोई देश की तरफ बुरी नज़र से देखता है तो भारतीय सशस्त्र सेनाएं उसका मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम हैं.’नौसेना की तीन दिन की कमांडर कॉन्फ्रेंस में चीफ ऑफ नेवल स्टाफ की ओर से कमांडर्स-इन -चीफ़ के साथ ऑपरेशनल, मैटीरियल, लाजिस्टिक्स, मानव संसाधन, ट्रेनिंग के अलावा बीते छह महीने की प्रशासनिक गतिविधियों की समीक्षा की जाएगी. साथ ही आने वाले महीनों के लिए रणनीति पर भी विमर्श किया जाएगा.
भारतीय नौसेना की ऑपरेशनल क्षमता बढ़ाने के लिए इसकी गतिविधियों के पुनर्संगठन पर भी कान्फ्रेंस में विचार किया जाएगा. इस कान्फ्रेंस के जरिए कमांडरों को हथियारों के प्रदर्शन, सेंसर्स की क्षमता और नौसेना के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स की तैयारियों की विस्तृत समीक्षा का भी मौका मिलेगा.
कमांडर ‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने वाले नौसेना के मौजूदा प्रोजेक्ट्स की प्रगति के बारे में भी जानेंगे. भारतीय नौसेना की ये कमांडर कॉन्फ्रेंस हर छह महीने बाद होती है. कॉन्फ्रेंस में पूरे क्षेत्र में ताजा घटनाक्रमों पर मंथन करने के साथ प्रधानमंत्री की अवधारणा ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और प्रगति) के तहत भविष्य में की जा सकने वाली पहलों पर भी विचार किया जाएगा.