
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद ने सोमवार को कुल मिलाकर 82,117 करोड़ के रक्षा सौदों को मंजूरी प्रदान की है. इनमें 50,025 करोड़ की लागत से वायुसेना के लिए हल्के लड़ाकू विमान तेजस, सेना और वायुसेना के लिए 15 लाइट कॉम्बैट हेलीकाप्टर, सेना के लिए 464 रूसी T-90 टैंक, 598 UAVs और पिनाका मिसाइल की 6 रेजिमेंट शामिल हैं.
इसके साथ ही पर्रिकर ने रक्षा से जुडी कंपनियों को काली सूची में डालने के लिए नई नीति को मंजूरी भी दे दी है. रक्षा फर्मों को काली सूची में डालने संबंधी नई नीति के मसविदे को कुछ दिनों में मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला जाएगा. सरकार की कोशिश है कि नई नीति के तहत गलत करने वाली कंपनियों को दण्ड मिले, लेकिन इससे सेनाओं के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया प्रभावित नहीं हो.
माना जा रहा है कि नई नीति में ऐसी कंपनियां जिनके रक्षा सौदों में दलाली या धांधली में लिप्त होने की बात सामने आई है, उन पर एकतरफा बैन की बजाय भारी भरकम जुर्माना या किसी तय अवधि का बैन लगाने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. माना जा रहा है कि नई नीति के बाद अटके पड़े रक्षा सौदों में प्रगति हो सकती है. यूपीए सरकार के दौरान भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद अपनाई गयी ब्लैकलिस्टिंग नीति से सैन्य उपकरणों की खरीद के कई सौदे खटाई में पड़े हैं.
यह भी माना जा रहा है कि नई नीति में ब्लैकलिस्ट की हुई कंपनी द्वारा बनाए सॉफ्टवेयर या उत्पाद का प्रयोग किसी दूसरी कंपनी के उत्पाद में होता है, तो उस उत्पाद की खरीद को स्वीकृति दी जाएगी. उदाहरण के लिए वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले का मामला सामने आने के बाद सरकार ने फिनमेकेनिका और अगस्तावेस्टलैंड समेत इसकी सभी सहयोगी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया था. लेकिन हाल ही में अमेरिका से एम-777 होवित्जर तोपों की खरीद को मंजूरी दे गई है, जबकि इन तोपों में फिनमैकेनिका के एक सॉफ्टवेयर का प्रयोग हुआ है. नई नीति के तहत ब्लैकलिस्टेड कंपनियों को रक्षा मंत्रालय की सतर्कता समिति के सामने अपील करने का अधिकार भी होगा ताकि वो काली सूची से हट सकें.