Advertisement

लोकपाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, मोदी सरकार के ढुलमुल रवैये को लताड़ा

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि साल 2013 का लोकपाल और लोकायुक्त कानून व्यवहारिक है और इसका क्रियान्वयन लटकाकर रखना न्यायसंगत नहीं है.

सरकार के रवैये से सुप्रीम कोर्ट नाराज सरकार के रवैये से सुप्रीम कोर्ट नाराज
अमित कुमार दुबे/अहमद अजीम
  • नई दिल्ली,
  • 27 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 6:57 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि साल 2013 का लोकपाल और लोकायुक्त कानून व्यवहारिक है और इसका क्रियान्वयन लटकाकर रखना न्यायसंगत नहीं है. इस कानून के अनुसार, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष लोकपाल चयन पैनल का हिस्सा होंगे. इस समय लोकसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं है.

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने शीर्ष अदालत के एक पूर्व फैसले का संदर्भ देते हुए कहा, हमारा कहना है कि यह व्यवहारिक है और इसे लटकाकर रखना न्यायसंगत नहीं है. देश में लोकपाल की नियुक्ति की मांग करने वाली याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने 28 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

Advertisement

इससे पहले एनजीओ कॉमन कॉज के लिए पेश हुए वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने कहा था कि हालांकि संसद ने वर्ष 2013 में लोकपाल विधेयक पारित कर दिया था और यह वर्ष 2014 में लागू हो गया था, तब भी सरकार जानबूझकर लोकपाल नियुक्त नहीं कर रही है.

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि मौजूदा स्थिति में लोकपाल को नियुक्त नहीं किया जा सकता क्योंकि लोकपाल कानून में नेता प्रतिपक्ष की परिभाषा से जुड़े संशोधन संसद में लंबित पड़े हैं. न्यायालय ने पिछले साल 23 नवंबर को लोकपाल की नियुक्ति में देरी को लेकर केंद्र की खिंचाई की थी और कहा था कि वह इस कानून को मृत नहीं होने देगा.

लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के पास सिर्फ 45 सदस्य हैं और यह संख्या कुल सीट संख्या 545 के 10 प्रतिशत की अनिवार्यता से कम है. इससे मौजूदा लोकपाल कानून में संशोधन की जरूरत को बल मिला है.

Advertisement

एनजीओ कॉमन कॉज की याचिका में अनुरोध किया गया था कि केंद्र को लोकपाल एवं लोकायुक्त कानून, 2013 के तहत संशोधित नियमों के अनुरूप लोकपाल का अध्यक्ष और सदस्य नियुक्त करने का निर्देश दिया जाए. एनजीओ ने वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में यह अनुरोध भी किया था कि केंद्र को यह निर्देश दिया जाए कि लोकपाल का अध्यक्ष और लोकपाल के सदस्य चुनने की प्रक्रिया कानून में वर्णित प्रक्रिया के अनुरूप पारदर्शी होनी चाहिए.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement