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CM बनने के ढाई साल बाद केजरीवाल ने संभाला जल संसाधन मंत्रालय का प्रभार

केजरीवाल सरकार ने दिसंबर 2017 तक डेडलाइन दी थी जिसके अंतर्गत दिल्ली की सभी कॉलोनियों में पीने के पानी को पाइप लाइन के जरिए पहुंचाने का वायदा किया गया था. समय कम है और मुख्यमंत्री के पास जिम्मेदारियों बड़ी हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
आशुतोष मिश्रा/नंदलाल शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 04 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:33 PM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ढाई साल बाद किसी मंत्रालय का प्रभार संभाला है. दिल्ली में दोबारा सरकार चुने जाने के बाद केजरीवाल ने अपने अधीन कोई मंत्रालय नहीं लिया, लेकिन अब उन्होंने अपनी सरकार में जल संसाधन मंत्रालय को अपने अधीन किया है. अब तक उनकी कैबिनेट में शामिल नए मंत्री राजेंद्र पाल गौतम के पास यह मंत्रालय था.

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केजरीवाल कैबिनेट की इस मामूली फेरबदल को उपराज्यपाल से मंजूरी मिल गई है. आम आदमी पार्टी सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री के जनता दरबार में और बवाना उपचुनाव में प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा शिकायतें पानी और सीवर की लाइन को लेकर मिल रही थी. हाल ही में सीवर लाइन में गिरकर मजदूरों की मौत से भी सरकार पर गंभीर सवाल उठे थे.

दूसरी ओर विपक्ष अरविंद केजरीवाल पर कोई पोर्टफोलियो ना लेने की वजह से जिम्मेदारियों से बचने का आरोप लगाता रहा. दिल्ली के कई कॉलोनियों में पीने की पाइप लाइन नहीं है और राजधानी का एक बड़ा इलाका सीवर लाइन से भी महरूम है. बिजली के साथ पानी को केजरीवाल ने चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बनाया था. ऐसे में पानी की आपूर्ति और सीवर लाइन को लेकर सरकार की उपलब्धियां संतोषजनक नहीं रही, जिसके बाद खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जल संसाधन मंत्रालय का जिम्मा संभाल लिया है. केजरीवाल सोमवार से दिल्ली जल बोर्ड के चेयरमैन भी होंगे.

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राजेंद्र पाल गौतम से पहले जल संसाधन मंत्रालय और दिल्ली जल बोर्ड की जिम्मेदारी आप के बागी विधायक कपिल मिश्रा के पास थी. दिल्ली जल बोर्ड की जिम्मेदारी लेने के बाद केजरीवाल जल्द ही अपने मंत्रालय और जल बोर्ड के तमाम उच्चधिकारियों की बैठक बुलाकर अब तक के हुए कार्यों की समीक्षा करेंगे.

केजरीवाल सरकार ने दिसंबर 2017 तक डेडलाइन दी थी जिसके अंतर्गत दिल्ली की सभी कॉलोनियों में पीने के पानी को पाइप लाइन के जरिए पहुंचाने का वायदा किया गया था. समय कम है और मुख्यमंत्री के पास जिम्मेदारियों बड़ी हैं.

 

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