Advertisement

EVM से टेंपरिंग का डेमोः सीक्रेट कोड, 90 सेकेंड...और बदल जाएंगे चुनावी नतीजे

पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे सौरभ भारद्वाज ने कदम-दर-कदम बताया कि कैसे ईवीएम से छेड़छाड़ मुमकिन है. उन्होंने एक ईवीएम जैसी मशीन में आम आदमी पार्टी को 10 बीएसपी को 2, कांग्रेस को 2, बीजेपी को 3 और समाजवादी पार्टी को 2 वोट दिये. इसके बाद उन्होंने बताया कि कैसे सीक्रेट कोड की मदद से इन नतीजों को बदला जा सकता है.

दिल्ली विधानसभा में ईवीएम टेंपरिंग का लाइव डेमो देते हुए सौरभ भारद्वाज दिल्ली विधानसभा में ईवीएम टेंपरिंग का लाइव डेमो देते हुए सौरभ भारद्वाज
लव रघुवंशी
  • नई दिल्ली,
  • 09 मई 2017,
  • अपडेटेड 7:52 PM IST

ईवीएम में गड़बड़ी के आरोपों को अब तक सत्ता के गलियारों में संजीदगी से नहीं लिया जा रहा था. लेकिन मंगलवार को आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली विधानसभा के भीतर छेड़छाड़ का डेमो देकर इसे सदन की कार्रवाई में शामिल करवा दिया.

सीक्रेट कोड से बदले ईवीएम के नतीजे
पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे सौरभ भारद्वाज ने कदम-दर-कदम बताया कि कैसे ईवीएम से छेड़छाड़ मुमकिन है. उन्होंने एक ईवीएम जैसी मशीन में आम आदमी पार्टी को 10 बीएसपी को 2, कांग्रेस को 2, बीजेपी को 3 और समाजवादी पार्टी को 2 वोट दिये. इसके बाद उन्होंने बताया कि कैसे सीक्रेट कोड की मदद से इन नतीजों को बदला जा सकता है. उनके मुताबिक ईवीएम में हर पार्टी का एक सीक्रेट कोड होता है. कोई आम वोटर भी वोटिंग के जरिये अपनी पसंद की पार्टी का सीक्रेट कोड डाल दे तो उसके बाद डाले जाने वाले सभी वोट उसी पार्टी को जाएंगे. भारद्वाज ने बीजेपी का कोड डालकर बताया कि किस तरह बीजेपी को 11 जबकि बाकी सभी पार्टियों को 2-2 वोट हासिल हुए.

Advertisement

90 सेकेंड में चुनाव आयोग की ईवीएम फिक्स!
सौरभ भारद्वाज ने माना कि जिस ईवीएम का इस्तेमाल उन्होंने किया वो महज एक प्रोटो-टाइप है. लेकिन चुनाव आयोग की ईवीएम का मदरबोर्ड महज 90 सेकेंड में बदलकर ऐसे ही सीक्रेट कोड डालने की देरी होती है और किसी भी ईवीएम को फिक्स किया जा सकता है. उन्होंने दावा किया कि अगर गुजरात चुनाव में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम उन्हें 3 घंटे के लिए दे दी जाएं तो वो बीजेपी को एक भी बूथ नहीं जीतने देंगे.

चुनाव आयोग की सफाई
वहीं, चुनाव आयोग ने इस मसले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है. आयोग के मुताबिक इस मसले पर 12 मई को सभी दलों की बैठक के बाद ही बयान दिया जाएगा. हालांकि आयोग के सूत्रों ने साफ किया है कि जिस मशीन का इस्तेमाल सौरभ भारद्वाज ने सदन में किया वो महज एक प्रोटो-टाइप है. सूत्रों की मानें तो आयोग की मशीनों में किसी तरह के कोड का इस्तेमाल नहीं होता है. ना ही इन मशीनों के मदरबोर्ड को बदला जा सकता है. चुनाव आयोग जिन मशीनों के इस्तेमाल की इजाजत देती है उसके बटन दबाने के बाद ब्लॉक हो जाते हैं. लिहाजा कोई भी सीक्रेट कोड नहीं डाल सकता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement