
दिल्ली विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. बीजेपी दिल्ली की सत्ता से पिछले 21 साल से दूर है और पार्टी इस बार अपने सियासी वनवास को खत्म करने के लिए ऐड़ी चोटी की जोर लगा रही है. दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी जहां अपने कामकाज के सहारे सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए हुए है तो बीजेपी केंद्र सरकार के काम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को भुनाने की कवायद में है. अब देखना है कि बीजेपी सत्ता में वापसी कर पाती है या नहीं.
दिल्ली में छह महीने पहले ही लोकसभा चुनाव की जंग केजरीवाल बनाम मोदी की हुई थी. आम आदमी पार्टी को इसमें जबरदस्त नुकसान हुआ था. दिल्ली की सभी सातों लोकसभा सीटें बीजेपी जीतने में कामयाब रही थी और आप का दिल्ली में खाता भी नहीं खुला था. यही वजह है कि इस बार विधासभा चुनाव में केजरीवाल इससे बचाने में जुटे हैं तो बीजेपी मोदी बनाम केजरीवाल जंग की बिसात बिछा रही है.
दिल्ली में बीजेपी का चेहरा कौन?
केजरीवाल लगातार सवाल उठा रहे हैं कि दिल्ली में बीजेपी का चेहरा कौन है. बीजेपी आम आदमी के इस ट्रैप में अभी तक फंसती नजर नहीं आ रही है. इसी के मद्देनजर बीजेपी ने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के सामने अभी तक मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया है. हालांकि दिल्ली में बीजेपी के सहप्रभारी केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने एक बार दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के नाम को आगे किया था, लेकिन कुछ देर बाद ही वह पलट गए थे.
अरविंद केजरीवाल सरकारी स्कूल में शिक्षा, अस्पताल, मोहल्ला क्लिनिक, फ्री बस यात्रा, फ्री पानी, 200 यूनिट फ्री बिजली आदि जैसे मुद्दे पर खेल रही है तो बीजेपी कच्ची कॉलोनियों को नियमित करने के सहारे दिल्ली के लोगों का दिल जीतना चाहती है. साथ ही बीजेपी नागरिकता संशोधन कानून, राम मंदिर और राष्ट्रवाद के मुद्दे को भी लेकर भी मैदान में है. दिल्ली में शहरी मतदाताओं के होने के चलते बीजेपी को उम्मीद है कि उसका राष्ट्रवाद का मुद्दा काफी प्रभावी साबित हो सकता है.
लोकसभा चुनाव में BJP को मिला था 56.6% वोट
दरअसल, बीजेपी 2019 लोकसभा में जिस तरह सबसे ज्यादा 56.6 फीसदी वोट हासिल कर विपक्ष का पूरी तरह सफाया कर दिया था. बीजेपी इस नतीजे को विधानसभा चुनाव में दोहराना चाहती है. इसीलिए लोकसभा चुनाव के बाद ही बीजेपी ने दिल्ली की सत्ता में वापसी के कठिन लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्लान बनाकर काम करना शुरू कर दिया है.
दिल्ली चुनाव में बीजेपी का पूरा फोकस अपने वोट फीसदी को बढ़ाने पर है. 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 32.3 फीसदी वोट पाकर महज तीन सीट जीत सकी थी जबकि आम आदमी पार्टी 54.3 फीसदी के साथ 67 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. आम आदमी पार्टी को सत्ता से बेदखल करने के लिए बीजेपी अपने 32.3 फीसदी के वोट को आगे बढ़ाने की कोशिश में है ताकि लोकसभा चुनाव की तरह दिल्ली में कमल खिलाने में वह कामयाब रहे.