
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की जबरदस्त जीत के बाद अब सबकी नजरें इसी साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव पर हैं. 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ गठबंधन कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को परास्त किया था. हालांकि, 5 साल के बाद हालात बिहार में पूरी तरीके से बदल चुके हैं. एक बार फिर से नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सरकार में है.
दिल्ली के चुनावी नतीजे के बाद बिहार में आरजेडी के नेतृत्व में महागठबंधन का दावा है कि जिस तरीके से झारखंड और दिल्ली में बीजेपी हारी है, उसी तरीके से अब बिहार में भी उसे हार का सामना करना पड़ेगा.
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कुछ ही दिन पहले पार्टी के संगठन में भारी फेरबदल करते हुए कई जिला अध्यक्षों को बदल दिया है जो यादव जाति से आते थे और उनकी जगह पर पिछड़ी जाति और दलितों को जिला अध्यक्ष बनाया गया है.
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यादव-मुस्लिम RJD का पारंपरिक वोट बैंक
माना जाता है कि मुस्लिम और यादव (MY) आरजेडी का पारंपरिक वोट बैंक रहा है. मगर विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने 50 में से 37 जिला अध्यक्षों को बदल दिया गया है. गौरतलब है, केवल 12 जिलाध्यक्ष ही अपना पद बरकरार रखने में कामयाब हुए.
आरजेडी की नई सूची में 14 जिलाध्यक्ष अति पिछड़ी और 8 दलित समाज से हैं जो साफ तौर पर दर्शाता है कि आरजेडी की नजर नीतीश कुमार के पारंपरिक अति पिछड़ा और दलित वोट बैंक पर है.
पिछड़ों को मनाने की कोशिश में आरजेडी
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, 'पिछले कुछ वर्षों में नीतीश कुमार ने गुमराह करके पिछड़ा, अति पिछड़ा और दलितों को अपने पाली में कर लिया था मगर अब आरजेडी ने इनको संगठन में आरक्षण देकर सबको साथ लेकर आगे बढ़ रही है.'
आरजेडी का दावा है कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन आगामी चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी मुखिया रामविलास पासवान की तिकड़ी को मात देगी.
'तेजस्वी यादव होंगे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार'
मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि आगामी चुनाव में सीधी टक्कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच होगी. उन्होंने कहा कि महागठबंधन की ओर से तेजस्वी ही मुख्यमंत्री के उम्मीदवार होंगे.
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हालांकि, जेडीयू ने आरजेडी के दावों की हवा निकालते हुए कहा है कि जिस तरीके से दिल्ली के चुनाव में आरजेडी चारों सीटों पर अपनी जमानत भी नहीं बचा पाई वही हालत बिहार में भी होगी. जेडीयू का मानना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों का बिहार पर कोई असर नहीं होगा.
आरजेडी प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि लालू ने अपने शासनकाल के दौरान अति पिछड़े और दलितों को हमेशा ठगा है और उन्हीं की विरासत को तेजस्वी आगे बढ़ा रहे हैं. संजय सिंह ने कहा कि आरजेडी के संगठन में अति पिछड़ों और दलितों को जगह देना केवल दिखावा है.
जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा, 'अगर आरजेडी के दिल में अति पिछड़ों और दलितों के लिए जरा भी दर्द है तो इसी वर्ग से आने वाले किसी नेता को तेजस्वी की जगह नेता प्रतिपक्ष बना देना चाहिए.'
'पिछड़ों का वोट बैंक'
संजय सिंह ने आरोप लगाया कि लालू ने पिछड़ों और अति पिछड़ों को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया मगर नीतीश ने इस वर्ग के लिए जमीन पर काम किया है. तेजस्वी पर तंज कसते हुए संजय सिंह ने कहा कि जिस तरीके से लोकसभा चुनाव में बिहार में आरजेडी का खाता भी नहीं खुला वही हालत विधानसभा चुनाव में भी होगा.
संजय सिंह ने इस बात को लेकर भी इनकार किया कि आगामी विधानसभा चुनाव नीतीश बनाम तेजस्वी होगा. तेजस्वी को 9वीं फेल बताते हुए संजय सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार के चेहरे के सामने उनकी कोई हैसियत नहीं है.
'सपना नहीं होगा सच'
बीजेपी विधायक नीरज कुमार सिंह 'बबलू' ने भी दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों का बिहार पर कोई असर नहीं होने की बात कही. नीरज बबलू ने कहा कि बिहार की जनता लालू-राबड़ी के 15 साल के शासनकाल को अब तक भूल नहीं पाई है.
बीजेपी विधायक नीरज कुमार सिंह बबलू ने कहा है कि आरजेडी का बिहार में चुनाव जीतकर सरकार बनाना एक सपना है और यह सपना देखना भी उनके लिए सही नहीं है.