Advertisement

केजरीवाल पर भारी पड़ जाएगा बद्री और शेफाली का दर्द !

मुख्यमंत्री अर‍विंद केजरीवाल की आम आदमी की सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में विधायकों के वेतनवृद्धि का विधेयक पास कर दिया. इस विधेयक के पास होते ही दिल्ली के विधायकों के वेतन में 400 फीसदी का इजाफा हो गया है. लेकिन उसी दिल्ली में साल भर से विधवा, बुजुर्ग और विकलांगों की महज 1000 रुपए महीने मिलने वाली की पेंशन रुकी हुई है.

अकरम शकील
  • नई दिल्ली,
  • 05 दिसंबर 2015,
  • अपडेटेड 3:28 PM IST

मुख्यमंत्री अर‍विंद केजरीवाल की आम आदमी की सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में विधायकों के वेतनवृद्धि का विधेयक पास कर दिया. इस विधेयक के पास होते ही दिल्ली के विधायकों के वेतन में 400 फीसदी का इजाफा हो गया है. लेकिन उसी दिल्ली में साल भर से विधवा, बुजुर्ग और विकलांगों की महज 1000 रुपए महीने मिलने वाली की पेंशन रुकी हुई है. एमसीडी का कहना है कि केजरीवाल पैसे नहीं दे रहे, तो दिल्ली सरकार ने पेंशन क्यों रोकी है, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है. इसस पहले केजरीवाल सरकार ने विधायकों की तनख्वाह ढाई लाख ये कहकर बढ़ाई कि 88 हजार में उनका घर नहीं चलता.

Advertisement

विक्लांगों की पेंशन रुकी हुई, लेकिन विधायकों का वेतन हुआ लाखों में
दिल्ली सरकार ने साल भर से विधवा, बुजुर्ग और विकलांगों की पेंशन रोक रखी है. जबकि यह पेंशन महज मात्र 1000 रुपए है. यूपी के गोंडा जिले से ताल्लुक रखने वाले बद्री ने दस साल पहले दिल्ली आए थे. कई साल दिल्ली में रहने के बाज जब वह दिल्ली के वोटर हो गए तो एमसीडी ने उनकी विकलांग पेंशन शुरू कर दी, बद्री ने पान का ठेला खोलकर अपना गुजारा करने लगा. लेकिन साल 2013 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद से ही बद्री की पेंशन बंद है.

पेंशन की बात पूछते ही रो पड़ीं शैफाली
बेहद साधारण से घर में रहने वाली शेफाली दास का हाल भी बद्री से अलग नहीं है. शेफाली करीब 15 साल पहले पति के गुजरने के बाद दिल्ली आई थीं. शेफाली पहले तो 'आज तक' के कैमरे के सामने आने के लिए तैयार नहीं थीं. पेंशन की बात पूछते ही शेफाली रो पड़ती हैं.

Advertisement

दिल्ली के पेंशनधारियों का बुरा हाल
दिल्ली के तमाम इलाकों में लाखों पेंशनधारियों का यही हाल है. अगर पेंशन एमसीडी की है, तो कहा जाता है इसलिए बंद है क्योंकि दिल्ली सरकार ने निगमों को पैसा देना बंद कर दिया है अगर केजरीवाल को ये पता होता कि महज 1000 रुपए महीने की पेंशन से भी इन लोगों को बड़ा सहारा था, तो ये कहकर अपने विधायकों की तनख्वाह ढाई लाख नहीं करते कि 88हजार में विधायकों का घर नहीं चलता.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement