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बिजली कंपनियों और सरकार की सांठगांठ से जनता बेहाल- बीजेपी

विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि लोड बढ़ाने से जहां एक ओर बिजली कंपनियों को सिक्योरिटी डिपोजिट के रूप में भारी कमाई हो रही है, वहीं दूसरी ओर लोड में वृद्धि के कारण भी उनके राजस्व में पहले से कहीं अधिक धन आ रहा है.

बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता
मणिदीप शर्मा/जावेद अख़्तर
  • नई दिल्ली,
  • 21 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 7:33 AM IST

दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि 28 मार्च को फिक्स्ड चार्जेस बेतहाशा बढ़ाने के बाद बिजली कंपनियां आजकल बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं को जबरदस्ती लोड बढ़ाने के नोटिस भेजने में जुटी हैं. इस तरह दिल्ली की जनता पर दोहरी मार की जा रही है.

उन्होंने आरोप लगाया कि यह बिजली कंपनियों की सोची-समझी नीति के तहत पिछले दरवाजे से भारी कमाई करने की एक असरदार तरकीब है. इससे उपभोक्ताओं पर भारी आर्थिक भार पड़ रहा है. क्योंकि उपभोक्ताओं के बिलों में नियमित रूप से भारी बढ़ोतरी हो रही है.

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उन्होंने कहा कि लोड बढ़ाने से जहां एक ओर बिजली कंपनियों को सिक्योरिटी डिपोजिट के रूप में भारी कमाई हो रही है, वहीं दूसरी ओर लोड में वृद्धि के कारण भी उनके राजस्व में पहले से कहीं अधिक धन आ रहा है.

उन्होंने कहा कि बीते साल सितंबर में बिजली कंपनियां सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन देने के नाम पर पहले ही 3.7 प्रति सरचार्ज लगा चुकी हैं. जिसके बाद पिछले 6 महीनों में केजरीवाल सरकार की मदद से बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं पर दो बार दामों में वृद्धि का बोझ डाल चुकी हैं.

विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि बिजली कंपनियों ने पिछले महीने सभी श्रेणियों पर फिक्स्ड चार्जेस में बेतहाशा वृद्धि की थी. उन्होंने कहा कि फिक्स्ड चार्जेस पहले एसएमएस के द्वारा सूचित किया जाता है कि लोड उल्लंघन के लिए आपको नोटिस भेजा जा रहा है. साथ ही यह जानकारी भी दी जाती है कि आपका स्वीकृत लोड बढ़ाया जा रहा है. ज्यादातर मामलों में लोड डबल किया जा रहा है. इसके तुरंत बाद ही उपभोक्ताओं को लोड उल्लंघन का नोटिस थमा दिया जाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि ये सारी प्रक्रिया एकतरफा होती है और उपभोक्ताओं के पास कुछ कर पाने और कहने के लिए बचता ही नहीं है.

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