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गलत हलफनामे पर केजरीवाल को समन

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया ने आम आदमी पार्टी के नेता केजरीवाल को 30 जुलाई को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि इस आरोप में उनके खिलाफ कार्यवाही आगे बढ़ाने के पर्याप्त आधार हैं.

दोषी पाए जाने पर छह महीने की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकती है दोषी पाए जाने पर छह महीने की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकती है
केशव कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 22 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 11:57 PM IST

दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने 2013 विधानसभा चुनाव के समय दाखिल किए गए हलफनामे में कथित तौर पर गलत सूचना देने के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आरोपी के तौर पर तलब किया है. मंगलवार को अदालत ने कहा कि पहली नजर में दिखता है कि केजरीवाल ने जानबूझकर ब्योरा छुपाया और दबाया है.

संपत्ति का बाजार मूल्य भी कम बताया
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया ने आम आदमी पार्टी के नेता केजरीवाल को 30 जुलाई को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि इस आरोप में उनके खिलाफ कार्यवाही आगे बढ़ाने के पर्याप्त आधार हैं. उन्होंने चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल हलफनामे में अपना सही पता छुपाया. साथ ही अपनी संपत्ति का बाजार मूल्य कम करके दिखाया.

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केजरीवाल को समन देने का पर्याप्त आधार
अदालत ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 125-ए, जन प्रतिनिधित्व कानून, 1950 की धारा 31 और भारतीय दंड संहिता की धारा 177 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए आरोपी अरविंद केजरीवाल को समन करने के लिए पर्याप्त सामग्री रिकॉर्ड पर है. अपने आदेश में अदालत ने कहा, ‘लिहाजा, आरोपी अरविंद केजरीवाल को समन जारी किया जाए. उन्हें 30 जुलाई तक जवाब देना होगा.’

हलफनामे में गलत पता देने का आरोप
केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने राजधानी में चुनाव लड़ने के लिए पात्रता हासिल करने की खातिर दिल्ली का गलत पता दिया. जबकि वह उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में रहते थे. यह आरोप केजरीवाल के दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने से पहले का है.

हो सकती है छह महीने की कैद या जुर्माने की सजा
अदालत ने एनजीओ मौलिक भारत ट्रस्ट की तरफ से नीरज सक्सेना की ओर से दायर आपराधिक शिकायत पर यह आदेश पारित किया. जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 125-ए के तहत दोषी पाए जाने पर छह महीने की सजा या जुर्माना या दोनों दी जा सकती है.

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हाई कोर्ट ने कहा था निचली अदालत में जाएं
इससे पहले, एनजीओ ने दिल्ली हाई कोर्ट का रूख कर केजरीवाल के नामांकन पत्र रद्द करने की मांग की. उनके हलफनामे में ‘अवैध’ सूचनाओं के आधार पर नामांकन पत्र रद्द करने की मांग की गई. हाई कोर्ट ने अर्जी पर सुनवाई से इनकार कर दिया था और याचिकाकर्ता को मजिस्ट्रेट अदालत जाने को कहा था.

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