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दिल्ली सरकार द्वारा की जा रही इलेक्ट्रिक बस खरीद में घोटाले की आशंका: अजय माकन

दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार 1000 इलेक्ट्रिक बस खरीद रही है. वह मौजूदा कीमत से बहुत महंगी है. हर बस के लिए 2.5 करोड रुपये दिए जा रहे हैं जबकि कर्नाटक में यही बस 1.75 करोड़ रुपये की थी. यानी सैकड़ों करोड़ का घोटाला होने की आशंका है.

दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन
अंकित यादव/मोनिका गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 06 जून 2018,
  • अपडेटेड 12:29 AM IST

दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार 1000 इलेक्ट्रिक बस खरीद रही है. वह मौजूदा कीमत से बहुत महंगी है. हर बस के लिए 2.5 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं जबकि कर्नाटक में यही बस 1.75 करोड़ रुपये की थी. यानी सैकड़ों करोड़ का घोटाला होने की आशंका है.

अजय माकन ने कहा कि पहले से ही बसों की खरीद का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. बीते 3 साल में दिल्ली में एक भी नई डीटीसी बस नहीं आई है. बल्कि कांग्रेस सरकार में रही बसें भी कम हो गई हैं. ऐसे में सरकार का प्रदूषण से लड़ने का दावा झूठा लगता है.

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अजय माकन ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बना दिया है. जिस वक्त कांग्रेस की सरकार थी उस समय प्लास्टिक को दिल्ली में बैन कर दिया था. लेकिन इस वक्त भी दिल्ली में खुलेआम प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है. दिल्ली पूरी दुनिया में प्लास्टिक कचरे की सबसे ज्यादा पैदावार करने वाली राजधानी के रूप में जानी जाती है.

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने अपने बजट का नाम ग्रीन बजट रखा था. लेकिन यह केवल नाम ही था, इसके अलावा कुछ भी नहीं. दिल्ली में एक भी नए पेड़ पौधे नहीं लगे. प्रदूषण कम करने का कोई इंतजाम नहीं किया गया. माकन ने कहा, 'हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि 3 साल में सरकार ने प्रदूषण से लड़ने के लिए क्या उपाय किए'?

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दिल्ली कांग्रेस ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि जब से केजरीवाल सरकार आई है दिल्ली में मेट्रो का काम पिछड़ गया है. वहीं दूसरी तरफ मेट्रो का किराया बेतहाशा बढ़ गया है. मेट्रो में एक साल में दो बार फेयर हाइक हुआ, जिसकी वजह से लोगों ने इसका इस्तेमाल करना बंद कर दिया है.

पर्यावरण दिवस पर दिल्ली कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा है कि दिल्ली सरकार द्वारा पर्यावरण सेस के नाम पर 829 लाख करोड़ तक कलेक्ट किया गया था. लेकिन सरकार अब तक सिर्फ 93 लाख ही खर्च कर पाई है. ऐसे में यह बात बेहद हैरान करती है कि प्रदूषण से लड़ने के लिए सैकड़ों करोड़ के बजट में एक करोड़ भी खर्च नहीं हुआ है.

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