
हर साल दीवाली पर करोड़ों रुपये का जुआ खेला जाता है. ये जुआ होटल, फार्म हाऊस, कसिनो और बड़ी जगहों पर होता है. अमूमन ऐसे ही जुआ खेलने वाले बड़े जुआरियों पर पुलिस की नजर होती है. दिल्ली-एनसीआर में पिछले कुछ वक्त में पुलिस ने ऐसे बड़े गैंबलिग रैकेट को तोड़कर एक बड़े सिंडिकेट को गिरफ्तार किया है. इसके बाद अब ये रैकेट हाईटेक हो गए हैं. अब दीवाली पुलिस से बचने के लिए गैंबलिंग ऑनलाइन होने लगी है.
यूपी साइबर क्राइम सेल के ए.एस.पी. त्रिवेणी सिंह के मुताबिक ऑनलाइन गैंबलिंग हिंदुस्तान के किसी भी कोने में बैठकर और विदेशों से भी की जा सकती है. ऑनलाइन गैंबलिंग की एक खास मॉडस ऑपरेंडी होती है. कम्प्यूटर या मोबाइल में एक ऑनलाइन एप डाउनलो़ड किया जाता है.
फिर गैंबलर अपने शिकार या पार्टी को इसका लॉगइन आईडी और पासवर्ड देता है. फिर जुआ खेलने के इच्छुक लोग लॉगइन करके जुआ खेलते हैं. इसमें अनजान लोगों को शामिल नहीं किया जाता. सबसे पहले एजेंट से रुपयों के बदले कॉइन खरीद लिए जाते हैं. फिर गेम खेलते वक्त प्वाइंट्स इकट्ठे किये जाते हैं.
अगर खेलने वाला जीत जाता है, तो बाद में इन कॉइन के रेट के आधार पर जुआ खेलने वाला शख्स एजेंट से पैसे ले लेता है. और अगर हार गया तो उसके बदले वो कॉइन डूब जाते हैं.
त्रिवेणी सिंह के अनुसार इंटरनेट पर तमाम गैंबलिंग साइट्स हैं. जिन पर लोग जुआ खेलते हैं. चूंकि इसका सर्वर विदेशों में होता है, तो उन तक पहुंचना पुलिस के लिए मुश्किल होता है. हालांकि पुलिस का कहना है कि कई देशों में जुआ वैध है. जबकि हिंदुस्तान में जुआ अवैध है. ऐसे में अगर पुलिस को विदेश में सर्वर या संबंधित शख्स का पता लगाता है, तो गैंबलिग एक्ट और आईटी एक्ट के तहत उस पर कार्रवाई की जा सकती है.
एएसपी सिंह का कहना है कि जुए में जमानत मिल जाती है, लेकिन आईटी एक्ट के तहत की गई कार्रवाई आरोपी पर भारी पड़ती है. इन ऑनलाइन गैंबलर को पकड़ना मुश्किल होता है. यही वजह है कि तेजी से ऑनलाइन गैंबलिंग का बाजार बढ़ता जा रहा है.