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दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपने जनाधार को वापस लाने के लिए जद्दोजहद कर रही है. शीला सरकार के 15 साल के कामकाज को लेकर कांग्रेस मैदान में है और अब 'गांधी परिवार' के जरिए चुनावी प्रचार को धार देने की रणनीति बनाई है. दिल्ली में सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की जनसभाएं रखी गई हैं, जिसके जरिए पूर्वांचली, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय को साधने का प्लान बनाया गया है.
कांग्रेस की दिल्ली के सियासी संग्राम में गांधी परिवार की दो दिनों में पांच जनसभाओं के जरिए जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को साधने की कवायद है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की शास्त्री पार्क में एक रैली प्रस्तावित है जबकि राहुल गांधी, प्रियंका गांधी की चार संयुक्त रैलियां होंगी, जो दिल्ली के अलग-अलग चार इलाकों में रखी गई हैं. हालांकि सोनिया गांधी अस्वस्थ हैं, जिसके चलते उनकी रैली को लेकर संशय बरकरार है.
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दिल्ली के सियासी संग्राम में अब शांत नजर आने वाली कांग्रेस के चुनावी प्रचार को धार देने के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी मंगलवार को उतर रहे हैं. कांग्रेस के ये दोनों दिग्गज नेता पहली रैली जंगपुरा सीट पर पार्टी के सिख चेहरे तरविंदर मारवाह के लिए करेंगे, जिसके जरिए ओखला और कस्तूरबा विधानसभा सीट के समीकरण को साधने की रणनीति है.
प्रियंका-राहुल की सिख वोटर पर नजर
राहुल-प्रियंका जंगपुरा विधानसा सीट पर सिख वोटर को लुभाएंगे तो ओखला में रैली से मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का दांव माना जा रहा है. ओखला से कांग्रेस के चार बार के विधायक परवेज हाशमी चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, कस्तूरबा नगर सीट से कांग्रेस अभिषेक दत्त चुनाव लड़ रहे हैं, जो पंजाबी समुदाय से आते हैं. कस्तूरबा नगर सीट पंजाबी बहुल मानी जाती है, ऐसे में उन्हें भी लुभाने की कवायद कांग्रेस के यही दिग्गज करेंगे.
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राहुल-प्रियंका चार फरवरी को ही दक्षिणी दिल्ली की संगम विहार सीट पर रैली को संबोधित करेंगे. यह सीट पूर्वांचली बहुल मानी जाती है. इस सीट से दिल्ली कांग्रेस की प्रचार समिति के प्रमुख कीर्ति झा आजाद की पत्नी पूनम झा आजाद मैदान में हैं. कीर्ति आजाद को कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में अपने पूर्वांचली चेहरे के तौर पर जगह दी है.
पूर्वांचली वोटर को साधने का कांग्रेस का प्लान
पूनम आजाद के लिए गांधी परिवार के प्रचार करने से पूरी दिल्ली के पूर्वांचली वोटरों को संदेश देने की कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है. कांग्रेस के दोनों दिग्गज संगम विहार के साथ-साथ देवली, बदरपुर, कालकाजी, तुगलकाबाद और अंबडेकर नगर जैसी सीटों के मतदाताओं को भी साधने की कोशिश करेंगे. इन सीटों पर पूर्वांचली और पंजाबी के साथ-साथ गुर्जर मतदाता भी निर्णय भूमिका में हैं.
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की पांच परवरी यानी बुधवार की सभाएं सियासी समीकरण को साधने के लिहाज से रखी गई हैं. बुधवार को राहुल-प्रियंका मुस्लिम बहुल पुरानी दिल्ली के हौस काजी में रैली करेंगे, यहां से माटिया महल, बल्लीमारान, चांदनी चौक और सदर बाजार जैसी सीटें साधने की रणनीति है. इन सीटों पर 50 फीसदी से लेकर 20 फीसदी तक मुस्लिम वोटर हैं. 2015 से पहले इन इलाकों में कांग्रेस की मजबूत पकड़ रही थी, ऐसे में अपने मूल वोटबैंक को वापस पार्टी में लाने की रणनीति मानी जा रही है.
दलित मतों पर कांग्रेस की नजर
राहुल-प्रियंका दिल्ली में दलित वोटबैंक को साधने के लिए पूर्वी दिल्ली के कोंडली विधानसभा सीट पर बुधवार को चुनाव प्रचार करेंगे. यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, लेकिन साथ में इससे सटी त्रिलोकपुरी और सीमापुरी सीट भी दलित वर्ग के लिए आरक्षित हैं. दिल्ली की 70 विधानसभाओं में से एक दर्जन सीटें आरक्षित हैं. ऐसे में राहुल-प्रियंका यहां से दलित समुदाय को राजनीतिक संदेश दे सकते हैं.
मुस्लिम मतदाताओं को साधेंगी सोनिया गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की रैली बुधवार को पूर्वी दिल्ली के शास्त्री पॉर्क में रखी गई है. शास्त्री पॉर्क से सीलमपुर और गांधीनगर विधानसभा सीधे जुड़ी हुई हैं. इसके अलावा बाबरपुर, मुस्तफाबाद, करावल नगर जैसी सीटें यहां से सटी हुई हैं, जहां मुस्लिम वोट हार-जीत तय करेंगे. सोनिया गांधी अपनी रैली के जरिए मुस्लिम वोटरों को साधने की कवायद कर सकती हैं. हालांकि सोनिया अस्वस्थ हैं, जिसके चलते वो रैली करेंगी या नहीं इस बात पर संशय है.
बता दें सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दों को लेकर मुस्लिम बहुल इलाकों में राजनीति गर्म है. कांग्रेस ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ अपने स्टैंड को बेहद मजबूती से रखा है. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में सीएए के मुद्दे को जगह दी है और कहा है कि सत्ता में आने पर सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर जाएगी. कांग्रेस को उम्मीद है कि दिल्ली चुनाव में उसे मुस्लिम वोटरों की सहानुभूति मिलेगी.