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दिल्ली विधानसभा चुनाव में जिस तरह से पाकिस्तान, शाहीन बाग और शरजील इमाम की एंट्री हुई है, इससे साफ जाहिर है कि ध्रुवीकरण की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. अरविंद केजरीवाल के पानी-फ्री बिजली मुद्दे के जवाब में बीजेपी शाहीन बाग में चल रहे सीएए के खिलाफ प्रदर्शन को अपने चुनावी हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है. ऐसे में अगर दिल्ली के चुनाव में वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो एक दर्जन विधानसभा सीटों पर समीकरण बदल सकते हैं.
बता दें कि दिल्ली में 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीतकर विपक्ष का पूरी तरह से सफाया कर दिया था. केजरीवाल की रिकॉर्ड जीत ने सियासी पंडितों और बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों को अचरज में डाल दिया था. हालांकि, पिछले चुनाव में 13 विधानसभा सीटें ऐसी रहीं हैं, जहां पर जीत-हार का अंतर 10 हजार वोट या फिर इससे कम रहा है. इन 13 सीटों में से 10 पर AAP प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी, जबकि तीन सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी विजयी रहे थे.
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केजरीवाल सरकार के दो मंत्री कैलाश गहलोत और सत्येंद्र जैन को भी बहुत कम वोटों से जीत मिली थी और बीजेपी की किरण बेदी को मामूली वोट से हार का सामना करना पड़ा था. इस बार के दिल्ली चुनाव में जिस तरह से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शाहीन बाग प्रोटेस्ट के मुद्दे को लेकर केजरीवाल पर आक्रमक हैं तो बीजेपी नेता हिंदुस्तान बनाम पाकिस्तान कराने में जुटे हैं. इस तरह से अगर दिल्ली में वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो इन नजदीकी मुकाबले वाली सीटों पर उलटफेर हो सकता है.
5000 से जीत-हार अंतर वाली सीटें
2015 के विधानसभा चुनाव में पांच हजार से जीत हार वाली पांच सीटें थी. इनमें से चार सीटें आम आदमी पार्टी जीतने में कामयाब रही थी और एक सीट बीजेपी को मिली थी. नजफगढ़ से AAP के कैलाश गहलोत महज 1555 वोट से जीत दर्ज किए थे और शकूरबस्ती सीट से AAP के सत्येंद्र जैन 3133 मत से जीते थे.
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इसके अलावा लक्ष्मी नगर से AAP के नितिन त्यागी 4846 वोट से और कृष्णा नगर सीट से एस.के बग्गा 2277 वोट से जीते थे. इन चार में से तीन सीट पर दूसरे नंबर पर बीजेपी रही थी और एक सीट पर इनेलो थी. वहीं, रोहिणी सीट से बीजेपी के विजेंद्र गुप्ता को 5367 वोटों से जीत मिली थी और दूसरे नंबर पर AAP रही थी.
दस हजार के अंतर वाली सीटें
2015 के विधानसभा चुनाव में 10 हजार से जीत हार वाली 8 विधानसभा सीटें थी. इनमें से 6 सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती थी और दो सीटें बीजेपी को मिली थी. AAP ने शालीमार बाग, राजौरी गार्डन, गांधी नगर, विश्वास नगर, शाहदरा और रोहताश नगर सीटें जीती थीं जबकि बीजेपी ने मुस्तफाबाद और घोंडा सीट पर जीत दर्ज की थी. हालांकि, गांधी नगर सीट से जीते AAP विधायक बीजेपी का दामन थामकर मैदान में हैं.
ध्रुवीकरण से बदलेगा समीकरण?
बीजेपी सीएए-एनआरसी के मुद्दे पर दिल्ली के सियासी समीकरण सेट कर रही है. बीजेपी ने शाहीन बाग में चल रहे सीएए के खिलाफ प्रदर्शन को 'चुनावी मुद्दा' बनाने की घोषणा की है. बीजेपी ने बाकायदा 'शाहीन बाग में कौन किधर' अभियान भी शुरू किया है. बीजेपी नेता AAP और कांग्रेस और लोगों से पूछ रहे हैं कि वे शाहीन बाग के समर्थन में हैं या विरोध में?
अमित शाह ने बनाया शाहीन बाग को मुद्दा
अमित शाह दिल्ली चुनाव प्रचार में जगह-जगह शाहीन बाग का जिक्र करने से नहीं चूकते. उन्होंने रविवार को बाबरपुर की रैली में कहा था कि 8 फरवरी को वोट देते समय EVM पर ऐसा बटन दबाओ कि करंट शाहीन बाग में लगे और वो उठ जाएं. दूसरी तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन को लेकर बीजेपी पर 'गंदी राजनीति' करने का आरोप भी लगाया.
केजरीवाल ने बीजेपी पर साधा निशाना
केजरीवाल ने ट्वीट किया, 'शाहीन बाग में बंद रास्ते की वजह से लोगों को परेशानी हो रही है. बीजेपी नहीं चाहती कि रास्ते खुलें. बीजेपी गंदी राजनीति कर रही है. बीजेपी के नेताओं को तुरंत शाहीन बाग जाकर बात करनी चाहिए और रास्ता खुलवाना चाहिए. क्योंकि जो आधा घंटे या 40 मिनट का रास्ता होता था, उसमें लोगों को ढाई से तीन घंटे लग रहे हैं. हमसे सीखो काम कैसे करते हैं. काम करना हमको आता है.
वहीं, पश्चिम दिल्ली से बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा कहते हैं कि बीजेपी दिल्ली की सत्ता में आई तो एक घंटे में रास्ता खुल जाएगा. इससे साफ जाहिर है कि बीजेपी का दिल्ली में चुनावी एजेंडा शाहीन बाग के इर्द-गिर्द सिमट गया है. ऐसे में अगर दिल्ली में वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो पिछले चुनाव में नजदीकी जीत हार वाली सीटों पर समीकरण गड़बड़ा सकता है.