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आर्थिक रूप से पिछड़े स्टूडेंट्स को एडमिशन देने के मामले में दिल्ली ने बाजी मार ली है. दरअसल राइट टू एजुकेशन एक्ट के सेक्शन 12(1) (c) के तहत प्राइवेट और गैर सहायता प्राप्त स्कूलों में आर्थिक रूप से पिछड़े स्टूडेंट्स के लिए 25 फीसदी सीटें रिजर्व होती हैं. इस कानून को अच्छे से लागू कर दिल्ली ने एक मिसाल कायम की है.
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आर्थिक पिछड़े और वंचित वर्ग की 25 फीसदी सीटों को भरने में अधिकतर राज्य ज्यादा रुचि नहीं लेते हैं. भारत में ऐसे स्टूडेंट्स के लिए रिजर्व सीटों में केवल 29 फीसदी ही सीटें भरी गई हैं. इन सीटों को भरने दिल्ली जहां अव्वल साबित हो रही है, वहीं आंध्र प्रदेश और यूपी काफी पीछे हैं.
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आईआईएम (अहमदाबाद), सेंट्रल स्क्वेयर फाउंडेशन, अकाउंटबिलिटी इनिशिएटिव और लॉ सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी के आरटीई सेक्शन-12 (1) सी की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.
25 फीसदी कोटे के तहत जहां दिल्ली में 92 फीसदी सीटें भरी गई हैं तो
यूपी में महज तीन फीसदी और आंध्र प्रदेश में महज 0.2 फीसदी ही भरी गईं.