
राजधानी दिल्ली के रानी झांसी रोड पर रविवार सुबह हुए अनाज मंडी अग्निकांड मामले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है. फिल्मिस्तान बिल्डिंग में आग लगने के बाद 43 लोगों की मौत हो गई थी, वहीं कई अन्य गंभीर रूप से जख्मी हैं. घायलों का इलाज चल रहा है. इस बिल्डिंग में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी थी, जिस पर काबू नहीं पाया जा सका था.
जिस बिल्डिंग में आग लगी उसमें किसी तरह से सुरक्षा उपकरण नहीं लगे थे, जिसके चलते आग पर काबू नहीं पाया जा सका. ज्यादातर मजदूरों की मौत दम घुटने की वजह से हुई है. मानवाधिकार आयोग ने इस हादसे को लेकर दिल्ली के मुख्य सचिव, पुलिस कमिश्नर, उत्तरी दिल्ली एमसीडी से 6 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि जिस बिल्डिंग में आग लगी उसमें दर्जनों अवैध छोटी फैक्ट्रियां चल रही थीं. यहां गोदाम भी भरे पड़े थे. कमरे ऐसे थे जिनमें मुश्किल से हवा भी प्रवेश करे लेकिन उनमें मजदूर काम करते थे. खतरा इसलिए हुआ क्योंकि कमरे हवादार नहीं थे और चारों ओर जलने वाले सामान रखे गए थे. मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि 500 वर्ग यार्ड में फैली बिल्डिंग में घुसने के लिए केवल एक ही रास्ता था. इस कारण पुलिस और दमकल विभाग को बचाव कार्य चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. दमकल की गाड़ियां घटनास्थल पर मुश्किल से पहुंच पाईं और जब तक पहुंचीं तब तक देर हो चुकी थी. मानवाधिकार आयोग ने मीडिया रिपोर्ट्स पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जवाब तलब किया है.
इस भीषण आग में 43 लोगों की मौत हो गई थी. इस हादसे में अब तक 60 से ज्यादा लोगों की जान बचाई गई है. लेडी हार्डिंग अस्पताल में भर्ती 10 घायलों में से नौ की मौत हो चुकी है. वहीं, एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती घायलों में 34 लोगों की मौत हो चुकी है. इमारत स्थित फैक्टरी में रविवार की सुबह करीब 4.30-5 बजे के आस पास आग लगी, जब वहां काम करने वाले मजदूर सो रहे थे.