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फिल्मों की पायरेसी रोकने के लिए दिल्ली की एक फर्म ने सॉफ्टवेयर बनाने का दावा किया है. इसके बाद से फिल्मों की कॉपी बनाने वालों पर नकेल कस जाएगी...

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मेधा चावला
  • नई दिल्ली,
  • 22 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 2:35 PM IST

19 हजार करोड़... ये अनुमानित आंकड़ा इंडियन फिल्म इंडस्ट्री को पायरेसी से होने वाले सालाना नुकसान का है. बेशक फिल्म इंडस्ट्री के सामने ये बड़ी चुनौती है और इसका समाधान अब एक दिल्ली की फर्म ने निकालने का दावा किया है.

एक अनुमान के मुताबिक, फिल्म पायरेसी में जुड़े लोगों में 70 पर्सेंट भारतीय हैं और 10 फीसदी पाकिस्तानी.

मेल टुडे की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की इस फर्म ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर, CopCorn तैयार करने का दावा किया है जो पायरेसी रोकने में मदद कर सकता है. बता दें कि असली प्रिंट के जरिए फिल्मों की नकली कॉपी बनाने से सरकार को मिलने वाले रेवेन्यू को भी झटका लगता है.

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कैसे काम करेगा यह सॉफ्टवेयर
पायरेसी पर लगाम लगाने का सॉफ्टवेयर बनाने का दावा करने वाली फर्म है - वॉयेएजर इंफोसेक प्राइवेट लिमिटेड. इसके डायरेक्टर जितेन जैन ने मेल टुडे को बताया - हमारे इंजीनियर्स ने ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम CopCorn डेवलप किया है.

यह इंटरनेट पर लीक हुई फिल्मों का ट्रैक रखेगा. साथ ही ऐसे लोगों का भी पता लगाएगा जो टॉरेन पर इन फिल्मों को अपलोड और डाउनलोड कर रहे होंगे.

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फर्म का दावा है कि यह सॉफ्टवेयर 98% की एक्युरेसी के साथ ग्लोबल लेवल पर काम कर सकता है. इसके अलावा इसमें एक खास कोडिंग की गई है जो लीक हुई फिल्मों को दूसरी साइट्स पर जाने से रोकेगी.

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'कहानी 2' पर किया प्रयोग
जितेन जैन ने बताया कि CopCorn के जरिए 'कहानी 2' की पायरेसी की कोशिश पता लगाई थी. मूवी रिलीज होने के समय 1.5 लाख लोगों ने इसे टॉरेन से डाउनलोड करने का प्रयास किया था.

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इन फिल्मों को हुआ है पायरेसी से नुकसान
रिलीज से पहले ही उड़ता पंजाब, ग्रेट ग्रैंड मस्ती, मांझी - द माउंटेन मैन, पा, तेरा क्या होगा जॉनी जैसी फिल्में इंटरनेट पर लीक हो गई थीं.

वहीं दंगल, सुल्तान, जॉली एलएलबी2 के साफ प्रिंट भी इनकी रिलीज के कुछ ही घंटों में इंटरनेट पर उपलब्ध थे. वहीं 'बाहुबली' की कॉपी भी मार्केट में इसकी रिलीज के पहले दिन ही बाजार में आ गई थी.

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बाहुबली को 1.6 मिलियन लोगों ने डाउनलोड किया था और 1500 लिंक्स के जरिए 1 मिलियन लोगों ने इसे अवैध रूप से देखा था.

क्यों पकड़ नहीं आते अपराधी
फिल्मों की कॉपी बनाना और बेचना अपराध है. फिलहाल पुलिस उन लोगों पर ही एक्शन ले पाती है जो नकली सीडी बेचते हैं. दिल्ली में पिछले साल पुलिस ने 9 लोगों के रैकेट को पकड़ा था जो सीडी और पेन ड्राइव के जरिए फिल्मों के नकली प्रिंट सर्कुलेट कर रहे थे.

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लेकिन सही तकनीक के न होने के चलते वो लोग अभी भी पकड़ से दूर हैं जो फिल्मों के प्रिंट डाउनलोड कर रहे हैं.

क्षेत्रीय फिल्मों को भी झटका
छोटी पहुंच वाली रीजनल फिल्मों के लिए भी पायरेसी एक बड़ी समस्या है. तेलुगु फिल्म चैंबर के एंटी-पायरेसी विंग की एक रिपोर्ट में टॉलीवुड को फिल्मों की नकल से लगने वाला झटका करीब 1066 करोड़ का बताया गया है.

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