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दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण से लड़ने का रोडमैप तैयार किया

दीपावली के बाद अचानक दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंचा हुआ. फिलहाल इसे लेकर दिल्ली सरकार भी हरकत में आ गई है. मंगलवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई.

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सबा नाज़/पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 02 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 6:58 AM IST

दीपावली के बाद अचानक दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंचा हुआ. फिलहाल इसे लेकर दिल्ली सरकार भी हरकत में आ गई है. मंगलवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई.

इसमें स्वास्थ्य व परिवहन मंत्री सत्येंद्र जैन, पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन, जल मंत्री कपिल मिश्रा के अलावा कई विभागों के अधिकारी शामिल रहे. मीटिंग के बाद डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बताया कि 'प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार को ऑड-इवन जैसे कई इनोवेटिव तरीकों पर काम करना होगा. एंटी पॉल्यूशन ड्राइव चलाए जाने की जरूरत है. पॉल्यूशन को लेकर सरकार काफी गंभीर है. हर सप्ताह इस पर काम होगा.'

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पीडब्ल्यूडी विभाग को निर्देश दिए हैं कि सड़कों से धूल हटाने के लिए वैक्यूम क्लीनिंग का इस्तेमाल किया जाए. दो हफ्तों में वैक्यूम क्लीनिंग शुरू हो जाएगी. साथ ही प्रत्येक सप्ताह सड़कों पर पानी का छिड़काव कर धूल को नालों में बहाया जाएगा. मनीष ने बताया कि दिल्ली में 61 बड़ी ऐसी निर्माणाधीन साइट्स हैं, जहां से धूल के कण वातावरण में तेजी से फैलते हैं. पर्यावरण विभाग ने इन जगहों पर खास ध्यान रखा है. कई कॉलोनियों में निर्माण कार्य चल रहा है, इससे भी प्रदूषण फैलता है. 90 प्रतिशत डस्ट पॉल्यूशन निर्माणाधीन साइट्स से होता है. आईटीओ और आनंद विहार जैसी व्यस्त जगहों पर में मिस्ट फाउंटेन लगाए जाएंगे. इससे धूल के कणों को कम किया जा सकता है.

जनता के बीच जागरुकता अभियान चलाकर नियमों की जानकारी दी जाएगी. मोबाइल ऐप के जरिए लोगों से निर्माणाधीन साइट्स पर हो रहे प्रदूषण की शिकायतें मंगाई जाएंगी. इस पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा. दिल्ली में 75 श्मशान घाट हैं. यहां पर लकडियों का इस्तेमाल होता है. आस्था की वजह से इसे बंद नहीं किया जा सकता. इसके लिए एमसीडी के सहयोग से प्लेटफार्म पर चिमनियां लगाई जाएंगी. श्मशान घाट के आस-पास ज्यादा आबादी है. यहां प्रदूषण अधिक होता है. लैंडफिल साइट्स पर आग की कमी कई लैंडफिल साइट्स पर आग की कमी देखी गई है. एक प्रयोग गाजीपुर साइट पर चल रहा है. अगले पांच दिनों तक पर्यावरण विभाग रोजाना डिप्टी सीएम को रिपोर्ट भेजेगा. ओखला व भलस्वा लैंडफिल साइट्स पर भी खास ध्यान है.

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आनंद विहार, लोनी, जैतपुर, सिंघू, सीमापुरी, बदरपुर व कापसहेड़ा के बॉर्डर क्षेत्रों में ऑटो की वजह से काफी प्रदूषण होता है. आनंद विहार में हमेशा 200 से 250 ऑटो स्टार्ट रहते हैं. 5 नवम्बर को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने एक मीटिंग बुलाई है. इसमें दिल्ली सरकार बॉर्डर के प्रदूषण का मुद्दा उठाएगी. सुझाव दिया जाएगा कि ट्रांसपोर्ट एथोरिटी बॉर्डर क्षेत्र पर नियमों की अवहेलना कर रहे ऑटो चालकों पर सख्ती लगाए.

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