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दिल्ली सरकार ने अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को एक बड़ा धोखा दिया है. जिन 895 कॉलोनियों को पिछले साल सितंबर में नियमित करने का ऐलान किया गया वो वाकई नियमित हुए ही नहीं हैं. वो इसलिए क्योंकि इन कॉलोनियों को नियमित करने के लिए जो नियम पूरे करने हैं वो अब तक पूरे नहीं हैं. ये सनसनीखेज़ खुलासा दिल्ली सरकार के सचिव की एक चिट्टी से हुआ है जो उन्होंने केंद्र सरकार को लिखी है.
देश की राजधानी में जिनका राज है उन्होंने फिर से इन कॉलोनियों में रहने वालों को मझधार में लाकर खड़ा कर दिया है. करीब आठ महीने पहले यानी पिछले साल 4 सितंबर को इनमें से 895 कॉलोनियों को नियमित करने का आदेश दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग ने निकाला. मगर इसी विभाग के सबसे बड़े अधिकारी ने 30 अप्रैल को केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर बताया है कि इन कॉलोनियों को नियमित करने में कम से कम 5 नियमों में गड़बड़ी रह गई है, जिनमें अब केंद्र सरकार राहत दे.
सरकार भी मानती है कि कमियां रह गईं हैं. चौंकाने वाली बात तो ये है कि जो चिट्ठी दिल्ली सरकार ने केंद्र को भेजी है उसमें ये तक छूट मांगी गई है कि जिन 895 कॉलोनियों को नियमित किया गया है, उनसे कॉलोनी के नक्शे, योग्यता प्रमाण पत्र के अलावा और कोई भी कागज़ात मांगने की शर्तों का अधिकार केंद्र, दिल्ली सरकार को दे.
इसके अलावा नियमितीकरण की उस अहम शर्त में भी छूट मांगी गई है जिसके मुताबिक कॉलोनी के कम से कम 10 फीसदी हिस्से पर 31 मार्च 2002 के नक्शे के हिसाब से निर्माण होना चाहिए. नियमित की गई कई कॉलोनियों में तो एक ही ज़मीन को दो अलग-अलग कॉलोनियों का हिस्सा माना गया है, उनके नियमों को बदलने की बात अब जाकर दिल्ली सरकार कह रही है. यानी दिल्ली सरकार ने आंख मूंद कर कॉलोनियों को नियमित करने का फैसला लिया, जो कि अब भी नियम बनाने वालों को भी धोखा लग रहा है.
हद तो ये है कि सरकार को अपनी इन ग़लतियों को सुधारने की याद नियमित करने का आदेश जारी करने के आठ महीने बाद आई है. यानी शक की सूई इस पर भी जाती है कि ये सब महज एक ग़लती है या फिर खालिस धोखा, क्योंकि अब तक सितंबर में नियमित होने वाली कॉलोनियों की लिस्ट का गजट नोटिफिकेशन भी नहीं हुआ है.