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दिल्ली सरकार बच्चों का यौन शोषण रोकने के लिए एक व्यापक जागरुकता मॉड्यूल पर विचार कर रही है. यह न सिर्फ बच्चों के लिए बल्कि माता-पिता, शिक्षक और घर में देखभाल करने वाले अन्य लोगों के लिए भी है, जहां बच्चों को देखभाल और संरक्षण की जरूरत होती है.
प्रधान सचिव (महिला एवं बाल विकास) डॉ. सतबीर बेदी ने बताया कि हालांकि इस ओर कानून पहले से मौजूद हैं, लेकिन घर और स्कूल में बच्चों के यौन शोषण से संरक्षण की संस्कृति पैदा कर एहतियाती स्तर पर काम करना जरूरी है. इसके लिए जनमत जुटाने की भी जरूरत है क्योंकि बच्चों का यौन शोषण एक राष्ट्रीय त्रासदी है, जो हर साल लाखों बच्चों और परिवारों को प्रभावित करती है.
बेदी ने कहा कि जागरुकता, शिक्षा और जिम्मेदारी भरी देखभाल किसी बच्चे को उसकी अपनी हिफाजत के लिए सर्वश्रेष्ठ औजार मुहैया करता है. ऐसा कुछ होने पर उसके द्वारा बड़े लोगों को जानकारी देने की कहीं अधिक संभावना होती है. बच्चों को असहज स्थिति में डालने वाले निर्देशों, अनुरोध या मांग होने पर उन्हें ‘बंद करो’ कहना सिखाने की जरूरत है.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के 2007 के एक अध्ययन के मुताबिक बच्चों का यौन शोषण करने वाले 85 फीसद से अधिक लोग उनके परिचित होते हैं और पीड़ित बच्चों में सिर्फ 25 फीसद ही घटना का जिक्र किसी और से करते हैं.