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उपराज्यपाल को बड़ा झटका, इन 7 लाइनों में SC ने समझा दिया उनका अधिकार

दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के अधिकारों पर चल रही सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों ने एक तरह से शर्तों के साथ दिल्ली का बॉस दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को माना है.

अनिल बैजल अनिल बैजल
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 12:05 PM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के अधिकारों पर चल रही सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों ने एक तरह से शर्तों के साथ दिल्ली का बॉस दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को माना है. जजों ने कहा कि एलजी को दिल्ली सरकार की सलाह से काम करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से उपराज्यपाल को उनका अपना अधिकार इस फैसले में याद दिलाया है. 

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1. उपराज्यपाल याद रखें दिल्ली की सरकार जनता की चुनी हुई सरकार है.

2. विधानसभा के फैसलों के लिए उपराज्यपाल की सहमति जरूरी नहीं है.

3. उपराज्यपाल की भूमिका राष्ट्रहित का ध्यान रखना है.

4. मंत्रिमंडल के फैसले को उपराज्यपाल अटका नहीं सकते.

5. कैबिनेट के साथ मिलकर दिल्ली के उपराज्यपाल काम करें. एलजी का काम दिल्ली सरकार के हर फैसले पर रोकटोक करना नहीं है.

6. उपराज्यपाल सिर्फ सरकार को सलाह दे सकते हैं, बाध्य नहीं कर सकते.

7. हर दिन के काम में बाधा डालना सही नहीं है. संविधान का पालन करना सबकी जिम्मेदारी है.

पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं.

गौरतलब है कि कभी एसीबी पर अधिकार को लेकर झगड़ा तो कभी मोहल्ला क्लीनिक और राशन डिलीवरी स्कीम का विवाद. जब से अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सत्ता में आए हैं, ये आरोप सुनने को मिलता रहता था कि उपराज्यपाल उन्हें काम करने नहीं दे रहे हैं.

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