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दिल्ली: 2 लाख कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग के अनुसार सैलरी नहीं, कोर्ट का नोटिस

हाईकोर्ट में एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट की तरफ से याचिका लगाई गई कि प्राइवेट स्कूल के टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को अभी भी 7 वें वेतन आयोग के हिसाब से सैलरी नहीं दी जा रही है. इनकी संख्या करीब 2 लाख है. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में 6 हफ्ते में दिल्ली सरकार समेत एमसीडी और प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन को अपनी स्टेटस रिपोर्ट भी सौंपने को कहा है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
अजीत तिवारी/पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 21 मई 2018,
  • अपडेटेड 5:57 PM IST

दिल्ली के प्राइवेट अनएडेड स्कूल्स में सातवें वेतन आयोग के हिसाब से सैलरी न देने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार, प्राइवेट स्कूल्स और एमसीडी को नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट में एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट की तरफ से याचिका लगाई गई कि प्राइवेट स्कूल के टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को अभी भी 7वें वेतन आयोग के हिसाब से सैलरी नहीं दी जा रही है. इनकी संख्या करीब 2 लाख है. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में 6 हफ्ते में दिल्ली सरकार समेत एमसीडी और प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन को अपनी स्टेटस रिपोर्ट भी सौंपने को कहा है.

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सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट में कहा कि जिन शिक्षकों के साथ ऐसा हो रहा है उनको इसकी शिकायत सरकार से करनी चाहिए. दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि शिक्षकों का काम सरकार को शिकायत करना नहीं है बल्कि यह काम सरकार का है कि वह देखे कि नियमों का पालन स्कूल कर रहे हैं या नहीं और जो नहीं कर रहे हैं उनके खिलाफ सरकार ने अब तक क्या कार्रवाई की है.

याचिका में कोर्ट को कहा गया है कि गैर सहायता प्राप्त स्कूलों में दिल्ली सरकार और एमसीडी सरकारी स्कूलों की तर्ज पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के निर्देश दिए जाएं. राजधानी दिल्ली में 2000 से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों में काम करने वाले करीब 2 लाख से ज्यादा टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को सातवें वेतन आयोग के मुताबिक अभी भी वेतन नहीं दिया जा रहा है. अगर कोई कर्मचारी या टीचर इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाते हैं तो उन्हें निकाले जाने की धमकी दी जाती है.

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कई मामलों में कर्मचारियों को स्कूल से निकाल भी दिया जाता है और दूसरे प्राइवेट स्कूल भी उन्हें नौकरी नहीं देते हैं. याचिका में बताया गया है कि दिल्ली सरकार की सहमति के बाद 1 जनवरी 2016 से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को यहां लागू कर दिया गया है. लेकिन दिल्ली सरकार की नाक के नीचे नियम होने के बावजूद अभी तक इन सिफारिशों को प्राइवेट स्कूलों में लागू नहीं करवाया गया है.

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