
दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी की उस याचिका पर केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और एल जी को नोटिस दिया है जिसमें पार्टी को उपराज्यपाल ने विज्ञापन पर खर्च 97 करोड़ रुपये लौटाने के आदेश को चुनौती दी है. हाई कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली सरकार और एल जी को नोटिस जारी कर मांगा जवाब है.
पिछले हफ्ते आम आदमी पार्टी ने उपराज्यपाल के उस निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें पार्टी से विज्ञापन पर खर्च किए 97 करोड़ वसूलने का निर्देश दिया गया है. दिल्ली सरकार पर आरोप है कि उसने गलत तरीके से मुख्यमंत्री केजरीवाल और पार्टी से जुड़े लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए विज्ञापन पर ये रकम खर्च की है.
दिल्ली हाई कोर्ट में लगाई गई याचिका में 30 मार्च को दिल्ली सरकार के सूचना और प्रचार विभाग को उपराज्यपाल अनिल बैजल ने ये रकम वसूलने के लिए जो आदेश दिया था, उस आदेश को रद्द करने की मांग की गई है. उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को 97 करोड़ की ये रकम एक महीने में आम आदमी पार्टी से वसूलने का आदेश दिया था.
याचिका में आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार के जरिए नियुक्त की गई तीन सदस्यीय समिति की उस रिपोर्ट को भी खारिज करने की मांग की है जिसमें कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पैसे का इस्तेमाल विज्ञापन पर खर्च करने का जिम्मेदार ठहराया है. कमेटी ने साफ तौर पर इसे सुप्रीम कोर्ट के उन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन बताया है जो किसी भी सरकार के लिए विज्ञापन देते वक्त पालन करना जरूरी है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार ने सरकारी विज्ञापनों की जांच के लिए पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त बी.बी.टंडन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था. कमेटी ने यह निर्णय 16 सितंबर 2016 को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन की शिकायत पर दिया था. माकन ने ही सबसे पहले दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी कि सरकारी फण्ड का विज्ञापन के लिय गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. हाईकोर्ट ने उस याचिका का निपटारा इस कमेटी के गठन के बाद कर दिया था.