
दिल्ली हाईकोर्ट ने आज गुजरात के जेडीयू एमएलए छोटू भाई वसावा की याचिका का निस्तारण करते हुए चुनाव आयोग को 27 नवंबर तक अपना विस्तृत आदेश देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग अपने आदेश में यह बताए कि जेडीयू का चुनाव चिह्न बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को क्यों दिया गया है और शरद यादव को क्यों नहीं दिया गया है. हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वह घर 27 तारीख तक आने वाले चुनाव आयोग के फैसले से खुश नहीं होता है तो वह दोबारा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है.
इससे पहले पार्टी चिह्न पर जेडीयू नेता शरद यादव की याचिका पर कोर्ट ने कोई अंतिरम आदेश देने से ये कहकर इनकार कर दिया था कि अभी तो चुनाव आयोग ने ही अपना विस्तृत आदेश नहीं दिया है तो कोर्ट इस पर कोई आदेश कैसे कर सकता है. गुजरात चुनाव में चुनाव चिह्न तीर देने की मांग करते हुए दिल्ली हाइकोर्ट में ये याचिका दायर की गई थी.
17 नवंबर को चुनाव आयोग शरद यादव की चुनाव चिह्न तीर देने की मांग को खारिज कर चुका है. चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि शरद की पार्टी कोई ठोस दस्तावेज नहीं पेश नहीं कर सकी और नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाली पार्टी ही असली जेडीयू है. हाइकोर्ट में लगाई गई याचिका में आयोग के इस फैसले को रद्द करने की अपील की गई है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि गुजरात चुनाव में फर्स्ट फेज का नामांकन पूरा हो चुका है. वहीं, दूसरे फेज का नामांकन अगले 10 दिन में पूरा हो जाएगा. ऐसे में तीर का चुनाव चिह्न कौन इस्तेमाल करेगा यह जल्द तय किया जाना जरूरी है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की तरफ से पेश हुए वकील गोपाल सिंह ने कोर्ट को कहा कि चुनाव आयोग ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया है. आयोग के फैसले के मुताबिक उनकी पार्टी के प्रत्याशियों ने तीर के निशान के साथ गुजरात चुनाव में नामांकन कर दिया है. ऐसे में याचिका खारिज की जाए. गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाने के बाद से शरद यादव, नीतीश कुमार से नाराज चल रहे थे. इसके बाद ही उन्होंने चुनाव आयोग में पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा किया था.