
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली सरकार को निर्देश जारी किया है. इसके तहत हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला की जेबीटी शिक्षक घोटाला मामले में जेल से जल्द रिहाई की याचिका पर विचार करने के लिए कहा गया है.
न्यायमूर्ति मनमोहन और संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने सरकार के पहले के आदेश को टाल दिया, जिसमें चौटाला की जल्द रिहाई की याचिका खारिज कर दी गई थी. दरअसल, चौटाला उनके बेटे अजय चौटाला और आईएएस अधिकारी संजीव कुमार समेत 53 अन्य को 2000 में 3206 जूनियर बेसिक टीचर्स (जेबीटी) की अवैध भर्ती के मामले में दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई.
कैसे उजागर हुआ घोटाला?
जनवरी 2013 में सीबीआई की विशेष अदालत के जरिए मामले में सभी को अलग-अलग सजा सुनाई गई थी. इस मामले में हरियाणा के तत्कालीन निदेशक प्रारंभिक शिक्षा कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस घोटाले को उजागर किया था. हालांकि बाद में सीबीआई जांच के दौरान उन्हें भी घोटाले में शामिल पाया गया.
चौटाला और कुमार के अलावा विशेष ड्यूटी पर चौटाला के पूर्व अधिकारी विद्या धर और हरियाणा के तत्कालीन सीएम शेर सिंह बडशामी के राजनीतिक सलाहकार को 10 साल की जेल की सजा दी गई थी. जिन अन्य को 10 साल की जेल की सजा दी गई उनमें मदन लाल कालरा, दुर्गा दत्त प्रधान, बानी सिंह, राम सिंह और दया सैनी हैं.
उनके अलावा एक दोषी को पांच साल की जेल की सजा दी गई और बाकी 44 को चार साल की कैद दी गई. 55 दोषियों में से 16 महिला अधिकारी थीं.