
दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार की हज पॉलिसी को चुनौती दी गई है. चुनौती देने वाली याचिका में कहा गया है कि 2018 से 2022 के लिए हाल ही में जो गाइडलाइंस हज यात्रा के लिए बनाई गई है, उसमें शारीरिक या मानसिक रुप से दिव्यांग लोगों को हज यात्रा पर अनुमति ना देने की बात की गई है.
हाल ही में एक हाथ से दिव्यांग व्यक्ति को हज यात्रा पर जाने से रोक दिया गया. जिसके बाद यह याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई गई है. याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और हज कमेटी से हाल ही में जारी की गई गाइडलाइंस पर जवाब मांगा है.
याचिका में कहा गया है कि यह सीधे तौर पर किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकार का हनन है और भारत का संविधान किसी भी व्यक्ति को ये अधिकार और आजादी देता है कि वो अपने धर्म से जुड़ी तमाम रीति-रिवाजों और यात्राओं पर बिना किसी हस्तक्षेप के जा सके.
सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट के सरकार की उस पॉलिसी पर सवाल उठाया है जिसमें दिव्यांग को हज पर जाने से रोका गया है. इस मामले मे ये भी देखना बेहद महत्वपूर्ण होगा कि केंद्र सरकार और हज कमेटी कोर्ट को अपना क्या ज़वाब देती है. कोर्ट इन मामले की अगली सुनवाई 7 अप्रैल को करेगा.
इससे पहले मोदी सरकार के हज यात्रा के लिए महिलाओं को मेहरम की छूट देने के फ़ैसले का मुस्लिम महिलाओं ने स्वागत किया था. सरकार ने 45 साल से ऊपर की 4 महिलाओं को बिना किसी पुरुष के हज यात्रा की अनुमति दी थी. पहले हज यात्रा के लिए रिश्ते में किसी ऐसे पुरुष व्यक्ति को ले जाना महिला हज यात्री के लिए अनिवार्य था जिससे उसकी शादी नहीं की जा सकती.