
देश की राजधानी दिल्ली के करोल बाग में 108 फुट ऊंचे हनुमान मंदिर के अवैध निर्माण को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई को हर महीने अपनी जांच की स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट को देने के लिए कहा है. इस मामले में आज कोर्ट ने अपने वकील भी नियुक्त किए हैं, जो कोर्ट को हर तारीख पर बताएंगे कि जांच कितनी गंभीरता से हो रही है.
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि धर्म और अध्यात्म से जुड़े मामलों में आपराधिक गतिविधियों की इजाजत नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने कहा कि जहां मंदिर बना हुआ है वहां कि लैंड ओनिग एजेंसी, जमीन को वापस लेने के लिए उत्सुक नहीं दिख रही.
बता दें कि पिछले काफी वक्त से दिल्ली हाईकोर्ट उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें कहा गया है कि करोल बाग और उसके आसपास के इलाके में अतिक्रमण की वजह से ट्रैफिक जाम की समस्या बनी हुई है. इसमें 108 फुट ऊंचे हनुमान मंदिर का भी जिक्र है जो बिना किसी एजेंसी से इजाजत लिए सरकारी जमीन पर बना हुआ है. कोर्ट ने कहा कि ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकारी जमीन पर 108 फुट ऊंचे हनुमान मंदिर के बन जाने के बाद भी किसी भी सरकारी एजेंसी ने मंदिर प्रशासन पर सवाल नहीं उठाए,कोर्ट ने डीडीए से भी इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट तलब की है.
पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले को जांच के लिए सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया था. उसके बाद से सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है. कोर्ट ने सुनवाई में साफ कर दिया कि चाहे हनुमान मंदिर के प्रशासन से जुड़े हुए लोग हो या फिर सरकारी अधिकारी लेकिन जिन्होंने भी अवैध निर्माण किया या इसे बनाने की इजाजत दी गई उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि यह बेहद आश्चर्यजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकारी जमीन पर एक ऐसे मंदिर को बिना इजाजत के तैयार किया गया जिससे ना सिर्फ ट्रैफिक जाम की समस्या बढ़ रही है बल्कि जिसके निर्माण के बाद सरकारी जमीन का इस्तेमाल करके मंदिर प्रशासन हर रोज लाखों रुपये का चंदा ले रहा है. इस मामले की अगली सुनवाई सितंबर में होगी. इस दौरान सीबीआई को अपनी स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट को सौंपनी होगी.
मूर्ति तैयार होने में लगे थे 13 साल
मंदिर के महंत कन्हैया ने यह बताया था कि हनुमान मूर्ति को तैयार करने में 13 साल का वक्त लगा. महंत के मुताबिक 1994 से 2007 के बीच जब मूर्ति को बनाया गया, तब आसपास जंगल था. उस वक्त सड़क बनाने का कोई प्रोजेक्ट नहीं था. महंत का कहना है कि कोर्ट और सरकार को अपने फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए, क्योंकि हनुमान की मूर्ति सिर्फ एक मंदिर नहीं बल्कि दिल्ली और देश की पहचान है.