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नकली CNG किट पर ग्रीको कंपनी समेत दिल्ली और केंद्र को HC का नोटिस

कंपनी ने केंद्र सरकार को साल में सिर्फ 500 किट बनाने का हलफनामा दिया है. ऐसे में कंपनी ने 20 हजार किट बाजार में कैसे से बेच दीं.याचिका में कंपनी पर आर्थिक फ़ायदे के लिए इंसानी जान को जोखिम में डालने का आरोप भी लगाया गया है. दलील दी गई है कि नकली सीएनजी किट से कभी भी चलती गाड़ी में ब्लास्ट हो सकता है.

दिल्ली हाई कोर्ट दिल्ली हाई कोर्ट
पूनम शर्मा/अनुग्रह मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 4:37 PM IST

गाड़ियो में फर्जी सीएनजी किट लगाने के मामले मे दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को किट बनाने वाली कंपनी ग्रीको को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने कंपनी के साथ दिल्ली और केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है. दरअसल इस मामले में एक एनजीओ, सोसाइटी फॉर अल्टरनेट फ्यूल एंड एनवायरमेंट ने याचिका दायर की थी. एनजीओ की याचिका में ग्रीको कंपनी पर पिछले एक साल में 20 हजार किट बेचने का आरोप जिसमें से साढ़े उन्नीस हजार किट नकली हैं. याचिका में कोर्ट से नकली सीएनजी किट को हटाकर वापिस किया जाने की मांग की गई है.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील कपिल सांकला ने कोर्ट को बताया कि कंपनी ने केंद्र सरकार को साल में सिर्फ 500 किट बनाने का हलफनामा दिया है. ऐसे में कंपनी ने 20 हजार किट बाजार में कैसे से बेच दीं.याचिका में कंपनी पर आर्थिक फ़ायदे के लिए इंसानी जान को जोखिम में डालने का आरोप भी लगाया गया है. दलील दी गई है कि नकली सीएनजी किट से कभी भी चलती गाड़ी में ब्लास्ट हो सकता है.

कोर्ट ने जनहित याचिका को गंभीरता से लेते हुए नोटिस जारी कर दिल्ली सरकार से पूछा है कि गाडियों में लगी फर्जी किट को कैसे हटाया जाए साथ ही इन्हें कैसे वापस मंगाया जा सकता है. दिल्ली सरकार ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया है कि गलत हलफ़नामा देने के लिए ग्रीको कंपनी को शो कॉज नोटिस भी भेजा जा चुका है. अब इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार को बताना है कि कंपनी के खिलाफ क्या वैधानिक कार्रवाई की जा सकती है. मामले की अगली सुनवाई 20 फ़रवरी को होगी।

देश में हर महीने करीब एक लाख सीएनजी किट की खपत होती है. यानि हर साल करीब 12 लाख सीएनजी किट लगवाई जाती है. जिसमें से करीब 60 हज़ार सिर्फ दिल्ली में ही लगायी जाती है. उम्मीद है कि इस जनहित याचिका के कोर्ट मे आने के बाद सीएनजी किट लगाने वाली अन्य कंपनियों की कार्य प्रणाली पर भी सरकार और कोर्ट की नज़र रहेगी.

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