
दिल्ली में डेंगू और चिकनगुनिया की रोकथाम मामले में आज एमसीडी के दो कमिश्नर कोर्ट में पेश हुए. हालांकि पूर्वी दिल्ली के कमिश्नर विदेश में होने की वजह से आज भी नहीं पेश हो पाए. वे किसी ट्रेनिंग के लिए विदेश गए हुए हैं. कोर्ट दिल्ली में सफाई की स्थिति से बहुत नाराज है और कहती है कि चाहे एमसीडी हो या फिर पीडब्ल्यूडी. सभी अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह फेल रहे हैं.
कोर्ट ने सवाल किए कि आखिर 21वीं सदी में दिल्ली कहां जा रही है? एक तरफ जहां देश के उद्योग-धंधे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जा रहे हैं. वहीं हम चार दिनों तक कूड़ा भी नहीं उठवा पा रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि आप निगम कर्मचारियों को सफाई के उपकरण तक नही दे पा रही है. वे नंगे हाथों से नालियों से कूड़ा निकालने को मजबूर हैं. ऐसे में उनके स्वास्थ्य और जिंदगी के खतरे का तो अंदाजा लगाना ही मुश्किल है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में 4-5 दिन बाद फिर से सुनवाई करेगी. साथ ही दिल्ली मे कूड़ा न उठाए जाने वाली जगहों के कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. कोड ऑफ कंडक्ट न पालन करने पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए. कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 27 को करेगी.
कोर्ट ने अंत में कहा कि वह दिल्ली की साफ-सफाई के लिए अप्रैल माह से आगाह कर रही है. एमसीडी दिल्ली की सड़कों से कूड़े हटवाए ताकि डेंगू व चिकनगुनिया न फैले, लेकिन वे तो कुछ भी करने को तैयार ही नहीं हैं.
कोर्ट निगम से सवाल पूछती है कि क्या उन्हें इस बात का अंदाजा है कि इन बीमारियों के शिकार लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है. क्या उन्हें इस बात का अंदाजा है कि कोर्ट का काम सिर्फ कूड़ा हटाने के बजाय लोगों को सफाई के प्रति शिक्षित और जागरुक करना भी है कि वे तमाम बीमारियों से कैसे बचें. कोर्ट ने यह भी कहा कि 27 प्रतिशत सफाई कर्मचरियों की कमी है. मलेरिया विभाग में 90 प्रतिशत तक वैकेंसी खाली है. ऐसे में वे किस तरह काम कर रहे हैं.