
दिल्ली सरकार ने अब तक यहां न्यूनतम मजदूरी को लागू नहीं किया है. इसके खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका लगायी गई है. इस याचिका पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस भेजा है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में न्यूनतम मजदूरी 13,350 रुपये दिए जाने को लेकर सरकरा इसी साल 3 मार्च को नोटिफिकेशन ला चुकी है. लेकिन दिल्ली सरकार ने अब तक इसे लागू नहीं किया है. हैरानी की बात तो यह है कि नोटिफिकेशन के बाद उल्टा रोजगार देने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने के निर्देश दिए गए है.
4 महीने पहले ही आ गया सरकार का नोटिफिकेशन
याचिका मे कहा गया है कि दिल्ली सरकार अगर इसे लागू करती है तो करीब 60 लाख लोगो को इसका फायदा मिलेगा. याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार की नीयत खराब होने के कारण फैक्ट्री से लेकर लोगों के घरों मे काम करने वाले लाखों वर्कर्स को अब तक उनका तय किया गया पैसा दिलवाने मे सरकार की कोई रुचि नही है. जो कानूनन तनख्वाह अप्रशिक्षित वर्कर्स को मिलनी चाहिए, उससे आधी तन्ख्वाह वर्कर्स को मिल रही है. वहीं 4 महीने पहले ही सरकार का नोटिफिकेशन आ चुका है.
स्टे को हटाकर नोटिफीकेशन को लागू कराया जाए
न्यूनतम मजदूरी कम से कम 13,350 रखी गयी है. लेकिन अभी पुरुषों को 6 हजार और महिलाओं को 5 हजार की तनख्वाह ही मिल पा रही है. यानि जो कानूनन मिलना चाहिए उसका आधा पैसा नौकरी देने वाले लोग अपनी जेब मे डाल रहे है. याचिका मे कहा गया है कि स्टे को हटाकर नोटिफीकेशन को लागू कराया जाए. साथ ही दिल्ली सरकार के खिलाफ कोर्ट खुद एक्शन लेने की बात भी याचिका में लिखी गई है.
याचिका में एक और अहम सवाल उठाया गया है कि 1980 मे सरकार के विभाग मे 5 हजार का स्टाफ था. इनको ये सुनिशित करना था कि वर्कर्स को न्यूनतम मजदूरी मिले. लेकिन स्टाफ भी अब घटकर मात्र 125 एनफोर्समेंट स्टाफ ही रह गया है. जबकी अब इंडस्ट्री दिल्ली में 10 गुना ज्यादा बड़ी हो गयी है. किसी भी एम्प्लायर का अब तक न्यूनतम मजदूरी न देने पर चालान नहीं हुआ है. लिहाजा 60 लाख लोगों के साथ वेतन को लेकर ये सरकार का धोखा है.