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दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश, ओम प्रकाश चौटाला हाजिर हों!

दिल्ली हाईकोर्ट ने ओम प्रकाश चौटाला को शुक्रवार को कोर्ट में पेशी का हुक्म दिया है. कोर्ट ने बिना इजाजत चुनावी रैली करने पर नाराजगी जाहिर करते हुए आईएनएलडी के मुखिया को नोटिस भेजा है और निजी तौर पर कोर्ट में पेश होने को कहा.

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2014,
  • अपडेटेड 8:45 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने ओम प्रकाश चौटाला को शुक्रवार को कोर्ट में पेशी का हुक्म दिया है. कोर्ट ने बिना इजाजत चुनावी रैली करने पर नाराजगी जाहिर करते हुए आईएनएलडी के मुखिया को नोटिस भेजा है और निजी तौर पर कोर्ट में पेश होने को कहा.

गौरतलब है कि सीबीआई ने जेबीटी अध्यापक भर्ती घोटाला मामले में जमानत शर्तों के उल्लंघन के कारण चौटाला की अंतरिम जमानत रद्द किए जाने की अपील की. इस अर्जी पर सुनवाई करने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया.

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सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि इस तरह का बर्ताव कानून प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ का मामला है.

आपको बता दें कि सीबीआई ने अपनी अपील में कहा कि चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत हासिल करने वाले INLD के नेता जमानत शर्तों का उल्लंघन करते हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार कर रहे हैं.

सीबीआई यह भी चाहती है कि चौटाला के समर्पण की तारीख को 17 अक्टूबर से पहले कर दिया जाए. जेबीटी अध्यापक भर्ती घोटाला मामले में दोषी साबित होने के बाद दस साल की सजा पाए पूर्व मुख्यमंत्री ने 26 सितंबर को स्वैच्छिक रूप से समर्पण की इच्छा जताई थी जिसके बाद अदालत ने 17 अक्टूबर की तारीख तय की.

इसमें यह भी कहा गया था कि चौटाला अदालत के आदेशों का दुरूपयोग कर रहे हैं और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हुए अदालत को हल्के में ले रहे हैं. इसमें कहा गया कि चौटाला को 21 मई 2013 को चिकित्सा आधार पर जमानत प्रदान की गई थी और उसके बाद से ही वह अवधि को इसी आधार पर बढ़वाते हुए बाहर हैं.

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यह है मामला
विशेष सीबीआई अदालत ने वर्ष 2000 में 3206 जूनियर अध्यापकों की गैर कानूनी भर्ती करने के मामले में 22 जनवरी 2013 को चौटाला, उनके पुत्र अजय चौटाला तथा आठ अन्य को दोषी ठहराया था और प्रत्येक को दस दस साल की सजा सुनाई थी. दोषी ठहराए गए अन्य लोगों में 44 को चार-चार साल की सजा तथा एक को पांच साल की सजा सुनायी गई थी. इन सभी को धोखाधड़ी, फर्जीवाड़े, फर्जी दस्तावेजों का मूल दस्तावेजों के रूप में इस्तेमाल करने, भारतीय दंड संहिता के तहत साजिश तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपने सरकारी पद का दुरूपयोग करने का दोषी पाया गया था.

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