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दिल्ली हाईकोर्ट में 21 अयोग्य ठहराए गए आम आदमी पार्टी के विधायकों ने सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट को कहा कि कई ऐसे विधायक हैं जिन्हें पार्लियामेंट सेक्रेटरी तो दिल्ली सरकार के द्वारा बनाया गया लेकिन उन्होंने इस पद का कोई फायदा नहीं लिया. पार्लियामेंट सेक्रेटरी बनने के बाद भी ना तो उन्होंने कोई सरकार से कार ली और ना ही कोई ऑफिस.
हालांकि आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायकों के वकील के इस तर्क के बाद कोर्ट का सवाल था कि अगर कार और ऑफिस जैसी सुविधाओं के लिए एंटाइटलमेंट मिला था तो भले ही सुविधा का लाभ ना लिया हो, लेकिन उस पद पर रहते हुए यह ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे में कैसे नहीं आएगा.
दरअसल सुनवाई के दौरान आज आप के विधायकों की तरफ से कोर्ट में दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी के दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभागों से जुड़े सवाल-जवाब और दस्तावेज पेश किए गए थे, जिससे यह साबित करने की कोशिश की गई कि भले ही 21 पार्लियामेंट सेक्रेटरी दिल्ली सरकार ने बनाए हो, लेकिन उन्हें कोई लाभ नहीं दिया गया. कई ऐसे भी हैं जिन्हें किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिली. लिहाजा यह ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे में नहीं आता.
21 अयोग्य ठहराए गए विधायकों के वकील मोहन पाराशर ने सुनवाई के दौरान एक बार फिर दोहराया कि चुनाव आयोग ने उनके किसी भी पक्ष पर विचार नहीं किया. कोर्ट अब इस मामले में 12 फरवरी को दोबारा सुनवाई करेगा और उसके बाद चुनाव आयोग को भी कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए वक्त दिया जाएगा.