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आम आदमी पार्टी की दिल्ली वालों को हर महीने 20 हज़ार लीटर मुफ्त में पानी देने वाली नीति पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए ने कहा कि किसी को कुछ भी मुफ्त में नहीं दिया जाना चाहिए. आप चाहे 10 पैसा या एक पैसा कुछ भी जरूर चार्ज करें.
साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि केवल अभावग्रस्त और जरूरतमंदों को छोड़कर किसी को भी कुछ भी मुफ्त में कुछ नहीं दिया जाना चाहिए.
हालांकि, सुनवाई के दौरान दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के वकील ने सरकार की नीति का बचाव करते हुए कहा कि ये पानी को संरक्षित करने के लिए है क्योंकि 20 लीटर पानी के मुफ्त इस्तेमाल पर कैप लगी हुई है.
इस पर कोर्ट ने कहा कि यहां ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने बिना मंजूरी के अवैध रूप से कई मंजिल मकान खड़े कर रखे है तो क्या ऐसे लोगों को मुफ्त पानी का लाभ मिलना चाहिए? जबकि इस तरह के लोग इसके लिए पैसा दे सकते हैं.
सुनवाई के दौरान बेंच ने सरकार से कहा कि आपकी बात तब तो समझ भी आती जब इस तरह का लाभ केवल झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों को दिया जाता, क्योंकि वो जरूरतमंद हैं. लेकिन बाकी लोगों को भी वही सुविधा क्यों दी जा रही है.
कोर्ट ने जल बोर्ड से भी सवाल किया कि क्या भूजल के इस्तेमाल को कंट्रोल करने के लिए भी आपकी कोई नीति बनाई है .यहां लोग दिल्ली शहर के ग्राउंड वाटर के स्तर को लगातार कम कर रहें हैं. इस पर बोर्ड ने बताया कि इसके लिए भी उनके पास नीति तैयार है और अगली सुनवाई पर कोर्ट को पूरी जानकारी देंगे. मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी.
हरियाणा को लगी फटकार
जबकि हरियाणा सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसने डीजेबी से मिले 28 करोड़ 16 लाख रुपये के चेक को भुना लिया है. वहीं मुनक नहर के साथ दिल्ली तक पानी पहुंचाने वाली दिल्ली सब ब्रांच कैनल की मरम्मत का काम शुरू किया जा चुका है.
हरियाणा सरकार ने बताया कि उसने मरम्मत के काम के लिए टेंडर निकाल दिए हैं जो जून तक खुले रहेंगे. 4 महीनों के भीतर मरम्मत का काम पूरा कर लिया जाएगा. इस पर कोर्ट ने मरम्मत का काम जल्द करवाने को कहा और देरी करने पर हरियाणा सरकार को फटकार भी लगाई.