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सुरक्ष‍ित नहीं दिल्ली, महिलाओं ने कहा- क्या कैद हो जाएं घर में

एनसीआरबी के हालिया आंकड़े चौंकाने वाले हैं. दल्ली देश का सबसे असुरक्ष‍ित शहर है. अपराध की इस नगरी में रहने वाली लड़कियों का क्या कहना है एक नजर उस सपर भी डालें...

दिल्ली में अपराध के आंकड़े दिल्ली में अपराध के आंकड़े
वंदना भारती/स्मिता ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 5:36 PM IST

राजधानी दिल्ली महिलाओं के लिए देश का सबसे अशुरक्षित राज्य बन गया है. ये खुलासा NCRB के सालाना सर्वेक्षण के बाद हुआ है. महिला सुरक्षा को लेकर ये चौकाने वाले आंकड़े एक तरफ जहां सरकरी सुरक्षा वादों पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर चिंता भी बढ़ा दी है.  

दिल्ली की सड़कों पर आपराधिक सोच वाले लोगों पर अंकुश तो नहीं लग पाया, पर दिल्ली एनसीआर में अब बाहर निकलने वाली लड़कियों पर परिवार की तरफ से बंदिशें लगने लगी हैं. नोएडा से रोज दिल्ली यूनिवर्सिटी पढ़ने आने वाली आयुषी कहती हैं कि बसों में तो सफर करना बहुत ही बुरा अनुभव है, चाहे दिल्ली हो या नोएडा सब जगह वही हाल है. अब तो मेरे माता-पिता बेहद परेशान हैं. घर लौटने का समय बांध दिया है. 6 बजे से देर होती है तो उनकी चिंता बढ़ जाती है. अब तो दोस्तों के साथ कहीं जाना भी बंद हो गया है.  

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आइये अब एक बार आकड़ों पर नजर डालें :

- साल 2011 से 2016 के बीच दिल्ली में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों में 277 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

- साल 2011 में जहां इस तरह के कुल 572 मामले सामने आए थे, वहीं 2016 में यह आंकड़ा 2155 रहा.

- इनमें से 291 मामलों का अप्रैल 2017 तक समाधान नहीं हो पाया था.

- निर्भया कांड के बाद दुष्कर्म के दर्ज मामलों में 132 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.

- इस साल अकेले जनवरी में दुष्कर्म के 140 मामले दर्ज किए गए थे. इसके अलावा मई 2017 तक राज्य में दुष्कर्म के कुल 836 मामले सामने आ चुके हैं.

परिवार खुद अपराधों के खिलाफ आवाज नहीं उठाते

इन आंकड़ों को देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्क‍िल नहीं है कि दिल्ली लड़कियों के लिए बिल्कुल सुरक्ष‍ित नहीं है. सरकार और प्रशासन न तो अपराध रोकने में कामयाब हो पाई और ना ही अपराधियों को. अब रोक-टोक का सामना महिलाओं को करना पड़ रहा है.

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गुरुग्राम के सरकारी महिला महाविद्यालय में बीकॉम की छात्रा पायल का कहना है कि मैं मालवीय नगर से गुरुग्राम आती हूं. क्योंकि मुझे डीयू में एडमिशन नहीं मिल सका. खैर डीयू में भी मिलता तो भी हालात हमारे लिए ज्यादा नहीं बदलते क्योंकि अब दिल्ली रेप और क्राइम कैपिटल बन चुकी है. मुझे रोज घर से निकलते के साथ लड़कों के कमेंट सुनने को मिलते हैं. पर परिवार वाले कहते हैं, जवाब मत दिया करो. आखिर ऐसा क्यों है, क्यों हम ही सब कुछ सहें.  

सजा नहीं मिली तो बढ़ेगा साहस

कनॉट प्लेस के एक निजी कंपनी में काम करने वाली सीमा बताती है कि ईव टिजिंग तो दिल्ली में आम बात है . बचपन से हमें ही चुप रहने की शिक्षा दी जाती है. पर ये गलत है. रेप जैसी वारदात को अंजाम देने वाले पहले छोटे क्राइम से ही शुरुआत करते हैं. अगर उन्हें पहले ही दंडित कर दिया जाए, तो उनका साहस आगे नहीं बढ़ेगा.

लड़कियों की इज्जत करना सिखाना होगा

गुरुग्राम के सरकारी महिला महाविद्यालय की प्रिंसिपल का मानना है कि महिलाओं के प्रति अपराध पर अंकुश तभी लगेगा, जब हर मां अपने बेटे को घर से ही लड़कियों की इज्जत करने की शिक्षा देना शुरू कर दे.  लड़कियों की आजादी को रोकने से समाधान नहीं निकलेगा. हालात और खराब हो जाएंगे.

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दिल्ली एनसीआर की लड़कियों में जहां बढ़ते अपराध को लेकर दुख है, तो वहीं मन में गुस्सा भी है कि उन्हें अपराधियों से बचाने के लिए घरों में कैद करना कहां तक सही है.

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