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AAP के आने से 'मिनी पंजाब' में तब्दील होने वाली है दिल्ली

पंजाब में चुनाव प्रचार थमने के साथ ही दिल्ली मिनी पंजाब के अखाड़े में तब्दील होने जा रही है. अब आप सोच रहे होंगे कि दिल्ली को 'मिनी पंजाब' की संज्ञा क्यों दी गई. दरअसल दिल्ली गुरुद्वारा सिख प्रबंधक कमेटी के चुनाव 26 फरवरी को होने हैं, लेकिन इस बार मुकाबला बादल दल और सरना दल के बीच ना होकर पंजाब की तरह त्रिकोणीय होने के आसार है.

दिल्ली का एक गुरुद्वारा दिल्ली का एक गुरुद्वारा
रोशनी ठोकने
  • नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 9:50 PM IST

पंजाब में चुनाव प्रचार थमने के साथ ही दिल्ली मिनी पंजाब के अखाड़े में तब्दील होने जा रही है. अब आप सोच रहे होंगे कि दिल्ली को 'मिनी पंजाब' की संज्ञा क्यों दी गई. दरअसल दिल्ली गुरुद्वारा सिख प्रबंधक कमेटी के चुनाव 26 फरवरी को होने हैं, लेकिन इस बार मुकाबला बादल दल और सरना दल के बीच ना होकर पंजाब की तरह त्रिकोणीय होने के आसार है.

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आम आदमी पार्टी के पंथक सेवा दल के चुनाव लड़ने की खबर से सिख सियासत के समीकरण बदल गए हैं. ठीक वैसे ही जैसे पंजाब चुनाव में इस बार सत्ताधारी अकाली दल का सीधा मुकाबल आम आमदमी पार्टी से है. वैसे ही दिल्ली में एमसीडी चुनाव के पहले होने वाले दिल्ली गुरुद्वारा सिख प्रबंधक कमेटी के चुनाव को सेमीफाइनल की तरह देखा जा रहा है.

दिल्ली के गुरुद्वारा चुनाव में आम आदमी पार्टी समर्थित पंथक सेवा दल की मौजूदगी से चुनाव रोचक हो सकता है. हालांकि गुरुद्वारा कमेटी पर काबिज शिरोमणि अकाली बादल दल की मानें तो कमेटी की उपलब्धियों के सामने विपक्षी दलों का टिक पाना मुश्किल है.

शिरोमणि अकाली दल (बादल) के अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके के मुताबिक 84 दंगों के लिए एसआईटी गठित करने में शिरोमणि अकाली दल (बादल) की भुमिका अहम है. वहीं बादल दल के कमेटी में रहते हुए 84 दंगों के लिए बनाए गए खास मेमोरियल बनाए गए हैं. सिखों के इतिहास से लेकर कॉलेज में सिख छात्रों के लिए आरक्षण और स्किल डेवलपमेंट ट्रेंनिग की तरह गरीब बच्चों के लिए किए कामों की वजह से बादल दल को फिर से चुनाव जीतने का भरोसा है.

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वहीं विरोधी सरना दल कमेटी में काबिज बादल दल को मात देने के बादल पोल खोल अभियान शुरु करेगी. शिरोमणी अकाली दल (सरना) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना के मुताबिक बादल दल ने सिखों के लिए कोई काम नहीं किया. यहां तक की पंजाबी शिक्षकों को बेरोजगार कर दिया. स्कूलों का स्तर इतना निम्न हो गया है सिख समुदाय अब बादलों को वोट नहीं देंगे.

आपको बता दें कि कमेटी के 46 सीटों के लिए सिख समुदाय वोट डालेंगे, पिछले चुनाव में शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने 37 सीटों पर कब्जा जमाया था, तो वहीं सरना दल को सिर्फ 8 सीटें मिली थी. एक सीट निर्दलीय के खाते में गई. देखना होगा कि इस बार गुरुद्वारा कमेटी पर कब्जा किसका होता है, क्योंकि दिल्ली वालों की नजर में ये चुनाव मिनी पंजाब से कम नहीं होंगे.

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