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अन‍ि‍ल बैजल 30 दिसंबर को ले सकते हैं दिल्ली के उपराज्यपाल पद की शपथ

दिल्ली के नवनियुक्त उपराज्यपाल अनिल बैजल 30 दिसंबर को शपथ ले सकते हैं. दिल्ली सरकार की तरफ से अभी बैजल को शपथ ग्रहण समारोह के बारे में कोई फोन नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह 30 दिसंबर को हो सकता है. यहां तक कि अभी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उन्हें बधाई के लिए भी फोन नहीं किया है.

अनिल बैजल अनिल बैजल
हिमांशु मिश्रा/मौसमी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 1:25 PM IST

दिल्ली के नवनियुक्त उपराज्यपाल अनिल बैजल 30 दिसंबर को शपथ ले सकते हैं. दिल्ली सरकार की तरफ से अभी बैजल को शपथ ग्रहण समारोह के बारे में कोई फोन नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह 30 दिसंबर को हो सकता है. यहां तक कि अभी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उन्हें बधाई के लिए भी फोन नहीं किया है. इस बीच उनके घर में वरिष्ठ अध‍िकारियों का आना शुरू हो गया है और बंधाइयों का तांता लग गया है. गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने अन‍िल बैजल के नाम पर अपनी मुहर लगा दी है.

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आजतक से खास बातचीत में अनिल बैजल ने कहा, ' दिल्ली सरकार की तरफ से अभी शपथ ग्रहण समारोह के बारे में मेरे पास कोई फोन नहीं आया है. वे इसके लिए चीफ जस्ट‍िस से समय लेंगे और उसके बाद मुझसे बात करेंगे. जब तक शपथ ग्रहण नहीं हो जाता, मैं इस बारे में मीडिया से ज्यादा बात नहीं कर सकता.' आजतक ने जब उनसे पूछा कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उन्हें फोन कर बधाई दी, तो उन्होंने कहा, 'नहीं, अभी तक मुझे फोन नहीं आया. वैसे मेरा फोन हमेशा व्यस्त रह रहा है.'

बीजेपी के भरोसेमंद
1969 बैच के आईएएस अफसर अनिल बैजल अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में गृह सचिव रहे हैं. बैजल लालकृष्ण आडवाणी के साथ गृह मंत्रालय में काम कर चुके हैं. इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों समेत देश के तमाम क्षेत्रों में उन्हें काम करने का अनुभव रहा है. दिल्ली में केंद्र और राज्य के बीच समन्वय कायम रखने में वे अहम भूमिका निभा सकते हैं. प्रशासनिक अनुभव के साथ-साथ तमाम मंत्रालयों के बीच तालमेल का भी उन्हें अच्छा खासा अनुभव है. दिल्ली में नजीब जंग के कार्यकाल में केजरीवाल सरकार से जारी टकराव को रोकने में भी उनका अनुभव काम आ सकता है.

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल करने वाले बैजल स्क्वैश, बैडमिंटन और टेनिस खेलना पसंद है. करीब 37 साल की सेवा के बाद 2006 में शहरी विकास मंत्रालय के सचिव पद से रिटायर हुए थे. शुंगलू आयोग की रिपोर्ट पर बैजल का क्या रूख रहता है इसपर भी सबकी निगाहें होंगी. दिल्ली और केंद्र के बीच टकराव का सबसे बड़ा कारण यही रिपोर्ट रहा है. शुंगलू आयोग का गठन नजीब जंग ने किया था और केजरीवाल सरकार के फैसलों से संबंधित करीब 400 फाइलों की जांच के बाद इस समिति ने अपनी रिपोर्ट एलजी आफिस को सौंप रखी है.

डोभाल कनेक्शन
बैजल भी विवेकानंड फाउंडेशन से जुड़े रहे हैं जिसके संस्थापक अजीत डोभाल हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी उनकी नजदीकी है. डोभाल मोदी सरकार में सबसे मजबूत शख्स माने जाते हैं. बैजल की उनसे नजदीकी कामकाज में मददगार साबित हो सकती है. पीएम मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र भी विवेकानंद फाउंडेशन से जुड़े रहे हैं. प्रसार भारती के चेयरमैन ए सूर्य प्रकाश और आईआईएमसी के चेयरमैन के जी सुरेश समेत तमाम लोग इसी बैकग्राउंड से आते हैं.

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