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अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट में दावा, दिल्ली हिंसा भड़काने में बीजेपी नेताओं की भूमिका

देश की राजधानी दिल्ली में इस साल फरवरी के महीने में सीएए के विरोध में हिंसा भड़क उठी थी. दिल्ली में हुई इस हिंसा पर दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के जरिए रिपोर्ट पेश की गई है.

सीएए के खिलाफ दिल्ली में हुई थी हिंसा (फाइल फोटो-पीटीआई) सीएए के खिलाफ दिल्ली में हुई थी हिंसा (फाइल फोटो-पीटीआई)
मिलन शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 5:11 PM IST

  • सीएए के खिलाफ राजधानी दिल्ली में हुई थी हिंसा
  • दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने पेश की रिपोर्ट

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने अपनी रिपोर्ट पेश की है. दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की इस रिपोर्ट में दिल्ली में हिंसा भड़काने में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं की भूमिका होने की बात कही गई है.

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देश की राजधानी दिल्ली में इस साल फरवरी के महीने में सीएए के विरोध में हिंसा भड़क उठी थी. दिल्ली में हुई इस हिंसा पर दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के जरिए पेश की गई रिपोर्ट में हिंसा भड़काने में बीजेपी नेताओं की भूमिका होने का दावा किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों को हिंसा के लिए उकसाया गया.

यह भी पढ़ें: दिल्ली हिंसा: पुलिस का हलफनामा- कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा पर केस नहीं बनता

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली हिंसा प्लानिंग के तहत की गई थी और यह टारगेटेड था. रिपोर्ट में कहा गया है कि 23 फरवरी को बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के भड़काऊ भाषण के बाद हिंसा शुरू हुई थी. इस दौरान मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों को लूट लिया गया.

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रिपोर्ट के माध्यम से कहा गया है कि इबादतगाह, धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया. इसके अलावा दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस के जरिए दाखिल की गई चार्जशीट काफी नहीं है, ईमानदारी से काम होना चाहिए.

हाईकोर्ट में हलफनामा

वहीं हाल ही में दिल्ली हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर किया है. इस हलफनामे में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ अभी तक कोई केस नहीं बनता है.

हाईकोर्ट में दाखिल किए गए दिल्ली पुलिस के हलफनामे में कहा गया है कि दिल्ली हिंसा में इनकी भूमिका को लेकर अब तक कोई सबूत नहीं मिले हैं. पुलिस का कहना है कि कोई ताजा एफआईआर दर्ज करने की जरूरत नहीं है. अगर आगे कोई सबूत मिलता है तो जांच की जाएगी.

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