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प्रदूषण कम करने की कवायद, दिल्ली-NCR में 15 अक्टूबर से डीजल जनरेटर पर पाबंदी

पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) के चेयरमैन भूरे लाल ने कहा कि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के तहत 15 अक्टूबर से दिल्ली-एनसीआर में डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर पूरी तरह से पाबंदी रहेगी.

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो PTI) सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो PTI)
राम किंकर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 11:50 PM IST

  • ईपीसीए ने 15 अक्टूबर तक सड़कों के गड्ढे भरने का दिया निर्देश
  • दिल्ली-एनसीआर में 15 अक्टूबर से 15 मार्च तक लागू रहेगा ग्रेप

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से निपटने के लिए 15 अक्टूबर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू किया जाएगा, जो 15 मार्च तक लागू रहेगा. इस दौरान दिल्ली-एनसीआर में डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर रोक रहेगी. पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) के चेयरमैन भूरे लाल ने कहा कि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के तहत दिल्ली-एनसीआर में डीजल जनरेटर पूरी तरह बंद रहेंगे. इससे किसी को छूट नहीं दी जाएगी.

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उन्होंने कहा कि 40 फीसदी प्रदूषण ट्रांसपोर्ट सेक्टर से आता है. भीड़भाड़ और घनी आबादी वाले इलाके में प्रदूषण ज्यादा होगा. अगर हवा की गुणवत्ता वेरी पुअर रहती है, तो डीजल जनरेटर पर पूरी तरह से बैन रहेगा. पूरे एनसीआर में यह लागू होगा, क्योंकि एक जगह का प्रदूषण दूसरी जगह जा सकता है. ऑड-इवन से प्रदूषण भी कम करने में मदद मिलेगी, क्योंकि जितना पब्लिक ट्रांसपोर्ट ज्यादा होगा, उतने ही प्राइवेट वाहन कम होंगे और प्रदूषण कम होगा.

दशहरे के बाद और दिल्ली-एनसीआर में 15 अक्टूबर को लागू होने वाले ग्रेप को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इंडस्ट्री से जुड़े तमाम स्टेकहोल्डर्स के साथ मीटिंग की और इस बात पर जोर दिया गया कि कैसे दिल्ली-एनसीआर को दम घुटने से बचाया जाए? इस दौरान ईपीसीए के चेयरमैन भूरे लाल ने म्युनिसिपल बॉडी से यह भी अपील की कि वह सड़कों के गड्ढे 15 अक्टूबर तक भर दें.

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ईपीसीए ने साफ तौर पर भी कहा कि दिल्ली को धुंआ और दम घुटने से बचाने के लिए नाइट पेट्रोलिंग की जरूरत पड़ेगी, तो पुलिस के साथ मिलकर वो भी किया जाएगा. ग्रेप लागू होने की सबसे बड़ी वजह यह है कि सर्दियों में पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों से निकलने वाले धुंए के प्रदूषणकारी कण हवा में बैठ जाते हैं. पानी पर भी इन कणों के जम जाने से एक गैस चैंबर जैसी स्थिति बन जाती है.

इसके अलावा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी मौसम विभाग से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं, ताकि हरियाणा और उसके आसपास के इलाकों में जलने वाली पराली पर नजर रखी जा सके.

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